सुरेश पचौरी के कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने पर पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने अपने सोशल मीडिया X पर लिखा कि सुरेश, भला 50 साल का रिश्ता भी कोई यूं तोड़ता है? आपको तो संघर्ष के दिनों में संबल बनकर साथ खड़ा होना था. क्या धर्म यह नहीं सिखाता कि अपनों के सुख-दुख में साथ रहें? राम मंदिर में आस्था उचित है लेकिन राम की मर्यादा को क्यों भूल गए? सच का साथ देने के लिए संघर्ष के पथ पर निःस्वार्थ चलने की सीख ही राम के प्रति सच्ची आस्था होती, बाक़ी सब स्वार्थ है।
…दिग्विजय ने लिखा, जिस नेहरू गांधी परिवार की बदौलत आपने समाज में नाम और सम्मान कमाया, उसे बेगाना कर गए। वह भी उनके लिए जिनके खिलाफ हम सब ने सारी लड़ाई लड़ी। अब बीजेपी कह रही है कि आप उनके ही थे और घर वापस लौट रहे हैं। ख़ैर आप जो भी करें, मगर राम के नाम पर न करें,यह राम की सीख तो नहीं है।
…दो पूर्व कांग्रेसी विधायक के भाजपा में शामिल होने पर दिग्विजय सिंह ने कहा कि दोनों विधायक को छापों का डर दिखाकर भाजपा में जबरन शामिल कराया गया है।
…दिग्विजय ने शुक्ला और पटेल को लेकर कहा कि उनकी जमीन, कॉलोनी, बिल्डिंग और कई धंधे हैं, इसी बात का उन्हें डर था, इसलिए गए।
पूर्व सीएम ने सुरेश पचौरी पर आरोप लगाए और कहा कि वे जनता के बीच कब गए जरा यह भी बताएं।
… पूर्व विधायक संजय शुक्ला द्वारा राम मंदिर के निर्माण के आमंत्रण को ठुकराए जाने के बयान पर दिग्विजय ने कहा, संविधान का जो मूल आधार है, इसे देखते हुए मुझे नहीं लगता कि कोई विचारधारा की बात पर संजय शुक्ला भाजपा में गए हैं।
…अगर विचारधारा की बात नहीं थी तो कांग्रेस में क्यों आए? कांग्रेस से चुनाव क्यों लड़े? भाजपा के खिलाफ क्यों लड़ाई लड़ी, यह सत्ता और कुर्सी की लड़ाई है।
…राजनीति का मेरे लिए तो महत्व नहीं है, जो विचारधारा का है।
…दिग्विजय ने कहा कि मैं जब कांग्रेस में आया था सोच समझ कर आया था जनता कांग्रेस को चाहती थी, 1977 में भी लोग कहते थे की कांग्रेस हारेगी लेकिन जीतकर कांग्रेस ने सरकार बनाई।
…दिग्विजय ने कहा, कांग्रेस पार्टी से वही नेता जा सकते हैं, जो विचारधारा में विश्वास नहीं रखते।
…कांग्रेस का जो जमीनी कार्यकर्ता है, वह आज भी कांग्रेस की विचारधारा मानता है।
