अनन्त माहेश्वरी की कलम से –
भगवंतराव मंडलोई स्वतंत्रता सेनानी एवं भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के राजनेता थे. जो मध्य प्रांत और बरार राज्य से भारतीय संविधान सभा के लिए चुने गए थे। स्वतंत्रता के बाद उन्होंने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप नेतृत्व किया। बाद में उन्हें 1970 में पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था।
भगवंतराव मंडलोई का जन्म 10 दिसंबर 1892 को मध्य प्रदेश के जिला खंडवा में हुआ था। उनके पिता का नाम पं.अन्नाभाऊ मंडलोई और उनकी माता का नाम नत्थू बाई मंडलोई था। उन्होंने मैट्रिक की शिक्षा सागर बी.ए. की पढ़ाई जबलपुर और इलाहाबाद से एलएलबी शिक्षा प्राप्त की।
भगवत राव मंडलोई ने 1917 में वकालत शुरू की (1919 से 1922) तक वह खंडवा नगर पालिका के सदस्य चुने गए तथा (1922 से 1925) तक वे खंडवा नगर पालिका उपाध्यक्ष रहे और (1925 से 1933) और (1944 से 1948) तक अध्यक्ष के रूप कार्य किया। गांधी जी से प्रभावित होकर उन्होंने वकालत छोड़ दी, 1939 में व्यक्तिगत सत्याग्रह और 1942 में उन्हें भारत छोड़ो आंदोलन में भाषण देते हुए घंटाघर चौक से ही गिरफ्तार कर लिया गया था।
1947 में मध्य प्रांत और बरार राज्य से संविधान निर्माण सभा के सदस्य चुना गया। वर्ष 1950 में मध्य प्रांत और बरार राज्य को समाप्त कर नए मध्य भारत राज्य में मिला दिया गया, वर्ष 1956 में राज्य पुनर्गठन अधिनियम-1956 के तहत मध्य भारत को नये मध्य प्रदेश में मिला दिया गया।
1952, 1957, 1962 के मध्य प्रदेश विधानसभा चुनावों में वह कांग्रेस के विधायक चुने गए। पहली बार विधायक चुनने के पश्चात वह मध्य प्रदेश की रविशंकर शुक्ल सरकार में मंत्री बनाए गए। श्री मंडलोई राजस्व,उद्योग, शिक्षा व नगरीय निकाय मंत्री के रूप में भी रहे।
31 जनवरी 1956 को मुख्यमंत्री रविशंकर शुक्ल के निधन के बाद मंडलोई ने (9 जनवरी 1957 से 30 जनवरी 1957) तक मध्य प्रदेश के कार्यवाहक मुख्यमंत्री के रूप नेतृत्व किया।
21 दिन की कार्यवाहक सरकार चलाने के बाद कांग्रेस हाईकमान के आदेश पर उन्होंने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और उनकी जगह कैलाश नाथ काटजू को मुख्यमंत्री बना दिया गया।
1962 का विधानसभा चुनाव कांग्रेस पार्टी ने कैलाश नाथ काटजू के नेतृत्व में लड़ा, कांग्रेस चुनाव तो जीत गयी, लेकिन मुख्यमंत्री कैलाश नाथ काटजू अपनी सीट से चुनाव हार गए। कैलाश नाथ काटजू के हार जाने के बाद विधानसभा में मंडलोई के कद को देखते हुए मुख्यमंत्री पद के लिए चुना गया। (12 मार्च 1962 से 29 सितंबर 1963) तक उन्होंने मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप नेतृत्व किया।पार्टी में आपसी खींचतान के चलते उन्होंने 29 सितंबर 1963 को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। हाईकमान द्वारा उनकी जगह द्वारका प्रसाद मिश्र को मुख्यमंत्री बना दिया गया।1967 के बाद मंडलोई सक्रिय राजनीति से दूर होने लगे और साधारण जीवन व्यतीत करने लगे। 1970 में राष्ट्रपति ने उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया।उन्होंने खंडवा के विकास के लिए हर संभव प्रयास किए, 3 नवंबर 1977 को उनका निधन हो गया।
खंडवा को सुक्ता जल प्रदाय योजना,पॉलिटेक्निक कॉलेज,आईटीआई , एस एन कॉलेज की शुरुआत का श्रेय आपको जाता है। माखनलाल चतुर्वेदी कन्या महाविद्यालय, महारानी लक्ष्मीबाई स्कुल भी आपकी ही देन है। पद्म भूषण से सम्मानित दादा भगवंतराव मंडलोई 38 वर्ष हिंदू बाल सेवा सदन के अध्यक्ष रहे। आपके परिवार से श्रीमती नंदा मंडलोई खंडवा विधायक रही। उद्योगपति अमिताभ मंडलोई आपके प्रपौत्र है।
आजादी के बाद मध्यप्रदेश में विकास की नींव रखने का काम खंडवा के मंडलोई परिवार ने किया l खंडवा में अस्पताल बिल्डिंग, पॉलिटेक्निक कॉलेज, भगवंत सागर डैम और ऐसे अनगिनत विकास स्तंभ आज भी हैं, जो खंडवा से ही विधायक रहे भगवंतराव मंडलोई की देन है l खंडवा के लोगों ने भी इन्हें ऐसा आशीर्वाद दिया कि वह मुख्यमंत्री बने l ऐसे वक्त में खंडवा को बड़ी-बड़ी सौगातें दी, जो आज भी कंधे से कंधा मिलाकर खंडवा के विकास में योगदान के कसीदे गढ़ रही है l भगवंतराव मंडलोई का परिवार प्रशासनिक और राजनीतिक क्षेत्रों में रहकर चार पीढ़ियों से खंडवा की सेवा कर रहा है l
पंडित नेहरू के समय नए मध्य प्रदेश के लौह पुरुष भगवंतराव मंडलोई माने जाते थे l मालवा और निमाड़ ही नहीं पूरे मध्यप्रदेश में उनका राजनैतिक वजूद साफ झलकता था l मांधाता विधानसभा सीट की बात करें तो 1972 में उनके पुत्र रघुनाथ राव मंडलोई ने मांधाता यानी निमाड़खेड़ी से विधायक बनकर विकास का नया आयाम शुरू किया l
आधुनिक मध्यप्रदेश का निर्माण अपने पिता भगवंतराव मंडलोई के साथ रघुनाथ राव मंडलोई ने भी किया l बाद में खंडवा से नंदा मंडलोई को भी खंडवा की जनता ने वोट देकर यह साबित कर दिया कि मंडलोई परिवार को वह कितना चाहते हैं l इस स्थिति के बाद प्रशासनिक स्तर पर भी श्री मंडलोई के पुत्र विनोद मंडलोई आईएएस बने l इतना ही नहीं इनके पुत्र नीरज मंडलोई भी वर्तमान में मध्य प्रदेश कैडर के आईएएस हैं l
विनोद मंडलोई के छोटे पुत्र अमिताभ मंडलोई शुरू से ही सामाजिक सरोकार और राजनीति के साथ व्यवसाय में भी रुचि रखते थे l उनके पिता विनोद मंडलोई ने कहा कि पहले पैर पर खड़े हो जाओ व्यापार करो, और फिर राजनीतिज्ञ बनकर सेवा करो l बस उनकी यही सोच थी कि राजनीति से अर्थ-तंत्र को दूर रखो l राजनीति को सेवा का उद्देश्य बनाकर आगे बढ़ो , जैसा कि भगवंतराव मंडलोई ने किया था और मुख्यमंत्री तक का सफर उन्होंने तय किया l यही वजह है कि अमिताभ मंडलोई आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में पहुंच कर कुछ नया जमीनी स्तर के लोगों के लिए करते ही रहते हैं l