अनन्त माहेश्वरी की कलम से –
भारतीय फिल्मों के इतिहास में किशोर कुमार एक ऐसे गायक थे जिनकी आवाज का लोहा दुनिया ने माना। वो हरफनमौला कलाकार थे । उन्होंने हिंदी सहित कई भाषाओं में 25 हजार से अधिक गानों को अपनी आवाज दी। किशोर कुमार का जन्म मध्यप्रदेश के खंडवा जिले में 4 अगस्त 1929 को हुआ था। खंडवा के गांगुली परिवार में जन्मे किशोर का बचपन में आभाष कुमार नाम था। पेश है उनके जीवन से जुड़े विभिन्न पहलुओं पर हमारी खास पेशकश–
वर्ष 1929 को खंडवा के बाम्बे बाजार में स्थित गांगुली हाउस में श्रीमती गौरी देवी गांगुली ने आभास को जन्म दिया .लेकिन शायद उस समय इस शहर का आभास ना था कि उनके शहर में सुरों के सम्राट का जन्म हुआ है . करीब तीन दशक तक संगीत की दुनिया में करोड़ों दिलों पर राज करने वाले किशोर कुमार ने कई भाषाओं में 25 हजार से अधिक गीतों को सुर दिया।खंडवा के मध्यमवर्गीय परिवार में जन्मे किशोर के पिता कुंजीलाल गांगुली एडवोकेट थे। मां गौरीदेवी गृहिणी थीं उनके बड़े भाई अशोक कुमार थे जिन्हें भारतीय फिल्म इतिहास में दादामुनि के नाम से जाना जाता है। उनके छोटे भाई अनूप कुमार भी फिल्मी दुनिया में पहुंचे और खंडवा के गांगुली परिवार ने देश भर मे खूब नाम कमाया। किशोर की प्रारंभिक शिक्षा खण्डवा में हुई जबकि उच्च शिक्षा क्रिश्चियन कॉलेज इंदौर में हूई। किशोर दा क्रिश्चियन कॉलेज में अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद बड़े भाई अशोक कुमार के पास मुंबई चले गए। मुंबई में उनकी पहली शिकारी थी जो कि 1946 में रिलीज हुई थी। अभिनय के क्षेत्र में हाथ आजमाने के साथ ही उन्होंने गायकी में भी किस्मत को आजमाया। पहला पार्श्व गायन: मरने की दुआएं क्यों मांगू– फिल्म जिद्दी 1948 में मिला। उसके बाद वो फिल्मी दुनिया में एक हरफनमौला कलाकार के रूप में स्थापित हो गए। उनको खूब शोहरत मिली पर वो कभी भी खंडवा को नहीं भूले और वे खंडवा हमेशा आते-जाते थे।
किशोर दा को आठ फिल्म फेयर अवार्ड मिले
अमानुष, आराधना, नमक हलाल, डॉन, अगर तुम न होते, शराबी, थोड़ी सी बेवफाई फिल्मों के लिए उनको नेशनल अवार्ड मिले। उनका खंडवा से इतना प्रेम था कि उन्होंने कई गानों में खण्डवा शब्द का प्रयोग किया। यहां तक कि उन्होंने अपने वसीयतनामें में भी लिखवाया था कि मौत के बाद उनका अंतिम संस्कार खण्डवा में ही किया जाए।
खंडवा के बाम्बे बाजार में है गांगुली हाउस
जिस मकान में किशोर कुमार का जन्म हुआ . वह मकान जर्जर होकर गिरने की कगार पर है, किशोर प्रेमियों को छोड़कर किसी की इसमें दिलचस्पी नहीं है .किशोर कुमार जब-तक जीवित रहे तब -तक इस तब इस बंगले की देखभाल हुआ करती थी. अब तो छत और दीवारे भी मकान का साथ छोड़ने लगी है. खंडवा के बाम्बे बाजार स्थित गांगुली हाउस में आभास कुमार ने जन्म लिया तब किसे मालूम था की यही आभास कुमार खंडवा के बाम्बे बाजार से फिल्म नगरी बाम्बे जा पहुचेगा . और दुनिया उसे किशोर कुमार के नाम से जानेगी . जिस घर के आंगन में नन्हे किशोर कुमार की किलकारियां गूंजा करती थी, इस मकान के हर हिस्से में किशोर कुमार की यादें बसी हुई है . लेकिन उचित देख-रेख के अभाव में किशोर कुमार का घर अब खंडहर में तब्दील होता जा रहा है . इस मकान की छत और दीवारे भी मकान का साथ छोड़ने लगी है ….किशोर कुमार के रहते गांगुली हाउस की देखभाल हो जाया करती थी . लेकिन उनके इस दुनिया से विदा होने के बाद मानो इस मकान की आत्मा ही चली गई हो . अब इसकी देखभाल का जिम्मा सिर्फ एक चौकीदार के भरोसे है ,जो पिछले चालीस वर्षो से किशोर कुमार के मकान की देखभाल कर रहा है चौकीदार सीताराम को आज भी वह दिन याद है ,की जब-जब किशोर कुमार खंडवा आते थे , तब बंगले की रौनक कुछ और ही हुआ करती थी
दूध -जलेबी खायेंगे , खंडवा में बस जायेंगे
फिल्म इंडस्ट्री में काम करने के लिए माया नगरी मुंबई जा बसे किशोर कुमार को खंडवा में सुकून मिलता था ,वे अक्सर खंडवा आकर इसी मकान में रहते .उन्हें अपनी जन्म स्थली खंडवा से इतना लगाव था की वे जहाँ भी जाते अपना परिचय किशोर कुमार खंडवे वाला के नाम से देते . स्टेज शो पर कार्यक्रम की शुरुआत कुछ इस अंदाज में करते – मेरे दादा -दादियों , मेरे मामा -मामियों -अरे मै जो यहाँ आया हूँ , आप सबका प्यार है दुलार है और किशोर कुमार खंडवे वाला गाने को तैयार है. फिल्म इंडस्ट्री से निजात पाकर , किशोर कुमार खंडवा में बस जाना चाहते थे . वे हमेशा कहा करते थे की दूध -जलेबी खाएंगे , खंडवा में बस जायेंगे . लाला जलेबी वाले की दुकान की दूध -जलेबी किशोर कुमार को अत्यंत प्रिय थी .. इस दुकान पर लगी किशोर कुमार की तस्वीर आज भी बरबस उनकी याद दिला देती है.
पारिवारिक संपत्ति के बंटवारे में यह संपत्ति किशोर कुमार के छोटे भाई अनूप कुमार को मिली . जिसमे लीना चंदावरकर और अमित कुमार भी हिस्सेदार थे . लेकिन स्व. किशोर कुमार की इच्छा अनुरूप लीना चंदावरकर और अमित कुमार ने अपना हिस्सा अनूप कुमार के नाम कर दिया. अनूप कुमार के स्वर्गवासी होने के बाद इस सम्पत्ति पर अनूपकुमार के पुत्र अर्जुन का मालिकी हक़ है .जिस मकान में किशोर कुमार के गीत आबाद रहते थे, यहाँ आज सन्नाटा है . इस मकान का कोना -कोना मानो यही पुकार कर रहा है की कोई लौटा दे मेरे बीते हुए दिन . ख्यात गायक ,हरफन मौला कलाकार स्वर्गीय किशोर कुमार की जन्म स्थली खंडवा में बने उनके पैतृक मकान को स्मारक बनाने की मांग पिछले लम्बे समय से उठती रही है . खंडवा की कलाप्रेमी संस्थाओं की प्रशासन से यही मांग रही की किशोर कुमार की यादों को सहेजा जाए, राज्य सरकार बंगले को खरीदकर उसे धरोहर मानते हुए , स्मारक के रूप में विकसित करे .इसके लिए कलाप्रेमियों ने पोस्टकार्ड अभियान चलाकर राज्य के संस्कृति मंत्री को पत्र भी लिखे .लेकिन प्रशासन अब तक संजीदा नहीं हुआ
गौरीकुंज सभाग्रह
किशोर कुमार कि माता गौरी देवी ओर पिता कुंजबिहारी लाल के नाम से खण्ड़वा मे बना है -गौरीकुंज सभागृह। शहर की सांस्कृतिक गतिविधियों क केन्द्र। जिसमे वाद्य यंत्र रूपी प्रतिमा बरबस ही किशोर कुमार कि याद दिला देती है।
किशोर कुमार के नाम पर हाउसिंग बोर्ड ने बनाई कॉलोनी -जिसके सामुदायिक भवन मे लगी है, किशोर कुमार की मूर्ति
खंडवा में किशोर कुमार के नाम पर हाउसिंग बोर्ड ने कॉलोनी विकसित की , जिसका उद्घाटन राजेश खन्ना के हाथो हुआ .यह कॉलोनी नगर निगम को हस्तांतरित हो चुकी है. कालोनी के कम्युनिटी हाल परिसर में किशोर कुमार की प्रतिमा लगाई गई . किशोर कुमार के नाम से बना सामुदायिक भवन सामाजिक कार्य के लिए आवंटित किया जाता है .
राष्ट्रीय किशोर कुमार अलंकरण सम्मान समारोह
संस्कृति विभाग द्वारा आयोजित राष्ट्रीय किशोर कुमार अलंकरण सम्मान समारोह, प्रत्येक वर्ष किशोर कुमार की पुण्यतिथि 13 अक्टूबर को होता रहा है। सिनेमा क्षेत्र से निर्देशन, अभिनय, पटकथा लेखन, गीत लेखन व गायन की विधाओं के कलाकारों को राष्ट्रीय किशोर कुमार अलंकरण सम्मान समारोह से नवाजा जाता है। प्रदेश सरकार ने किशोर कुमार की स्मृति में 1997-98 में किशोर कुमार सम्मान शुरू किया। अब तक 15 सम्मान दिए जा चुके हैं। सम्मान में 2 लाख रुपए, शाल-श्रीफल एवं प्रशस्ति पत्र दिया जाता है। सम्मान सिनेमा के निर्देशन, अभिनय, पटकथा और गीत लेखन के क्षेत्र में बेहतर कार्य के लिए दिया जाता है। 2012 में संस्कृति मंत्री ने गायन का क्षेत्र भी शामिल करने की घोषणा की थी।
अन्य आयोजन
खंडवा की पहचान किशोर कुमार खंडवे वाले के नाम से भी होती है . चार अगस्त 1929 को खंडवा में जन्मे किशोर कुमार का निधन तेरह अक्टूबर 1987 को हुआ , किशोर कुमार के चाहने वाले इन दो तिथियों को खंडवा में कई सांस्कृतिक आयोजन होते है . किशोर सांस्कृतिक प्रेरणा मंच द्वारा तीन अगस्त और चार अगस्त को किशोर कुमार के जन्मदिवस के अवसर पर किशोर नाईट का आयोजन किया जाता है , खण्डवा के नन्हे कलाकारोँ ने तो किशोर गाये गीतोँ को कैनवास पर उतारा , उनकी प्रदर्शनी भी लगाई। किशोर कुमार, एक एसा कलाकार जिसे चाहने वालो कि कमी नही है , फ़िर चाहे बच्चे हो या बुढे। हर कोई किशोर कुमार कि समाधी पर खींचा चला आता है।
किशोर स्मारक .
खंडवा में जन्मे हरफन मौला किशोर कुमार की याद में , प्रदेश सरकार द्वारा करोड़ो रुपयों की लागत से किशोर स्मारक बनाया गया है , लाल पत्थरों से बने स्मारक पर करोड़ो रूपये खर्च किये गए, इसकी सजावट में कोई कमी नहीं रहे इस बात का विशेष ख्याल रखा गया . बाहरी द्वार पर बढ़े -बढ़े अक्षरों में चमचमाते स्टील से किशोर स्मारक लिखा गया . बाहरी दीवार पर किशोर कुमार के चित्र भी लगाये , चलिए -आपको इसके भीतर लिए चलते है . स्मारक के भीतरी हिस्से में संगीत के वाध्य यंत्र तबला , सारंगी और तुरही नजर आते है , जिसे देखकर अनुमान लगाया जा सकता है की यह किसी संगीत से जुड़े कलाकार का स्मारक है . स्मारक की सुन्दरता बढाने के लिए फव्वारे भी लगाये , गार्डन भी विकसित किया. स्मारक के भीतरी हिस्से में भी किशोर स्मारक बड़े-बड़े शब्दों में लिखा . यह किशोर स्मारक है जिसे प्रदेश सरकार ने किशोर कुमार की याद में बनवाया . यहां किशोर चाहने वाले आते है , ओर किशोर गाये गीतों गुनगुना कर उन्हें श्रद्धांजलि देते है।
किशोर कुमार कि समाधि
खंडवा में बस जाने कि तमन्ना दिल में लिए किशोर कुमार ,इस दुनिया से विदा हो गए ,13 अक्टूबर 1987 को किशोर कुमार ने अंतिम सांस ली . उनकी अंतिम इच्छा के तहत खंडवा में उनका अंतिम संस्कार हुआ . जिस स्थान पर किशोर कुमार की पार्थिव देह पंचतत्व में विलीन हुई , उसी स्थान पर किशोर कुमार की समाधि है . किशोर स्मारक के ठीक पीछे है ,किशोर कुमार की समाधि., जो भी कलाकार खंडवा आता है , वह किशोर कुमार की समाधि पर अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करने जरुर जाता है . किशोर कुमार की समाधि पर शीश नवाने मुंबई की फ़िल्मी दुनिया के कई कलाकार खंडवा पहुँच चुके है . मनोज कुमार, शत्रुघन सिन्हा ,श्याम बेनेगल, जावेद अख्तर सहित कई नाम है जो किशोर दा की समाधि तक पहुंचे .