अनन्त माहेश्वरी की कलम से –
बड़े दादाजी स्वामी केशवानंद जी महाराज भगवान शंकर के अवतार माने जाते हैं। वे सदा धूनी प्रज्जवलित करके बैठते थे अतः उन्हें धूनीवाले दादाजी भी कहते हैं। उनके शिष्य छोटे दादाजी भगवान विष्णु के अवतार माने जाते है। छोटे दादाजी स्वामी हरिहरानंद जी महाराज श्री दादाजी की आज्ञानुसार खंडवा में 12 वर्ष तक रहे। खंडवा में ही आपकी समाधि भी है। दादाजी के चमत्कार, अलौलिक लीलाओं से प्रभावित होकर लाखों लोग आज तक जयश्री दादाजी के रूप में अभिवादन करते है। 1930 से अखण्ड ज्योति, धूनी चुल्हा, आज भी उसी अग्नि ज्योत से जीवंत है जो दादाजी ने आरंभ की थी।
पंडित माखनलाल चतुर्वेदी स्वतंत्रता आंदोलन में अहम भूमिका निभाने वाले राष्ट्रकवि, साहित्यकार, पत्रकार व जन नेता थे। लोग आपको माखनदादा के रूप में पुकारते थे। आपका जन्म 4 अप्रैल 1889 बाबई (होशंगाबाद) में हुआ। खंडवा से कर्मवीर समाचार पत्र का प्रकाशन आपने किया। खंडवा आपकी कर्मभूमि रही। चाह नही सुरबाला के……… आपकी कविता ने आपको एक भारतीय आत्मा का दर्जा दिया। आप पद्मभूषण से सम्मानित रहे। हिम तरंगिणी, समर्पण, युग चरण, दीप से दीप जले आपकी प्रमुख रचनाएं थी। आपकी मृत्यु 30 जनवरी 1968 को हुई।
खंडवा का नाम देश-दुनिया तक पहुँचाने वाले आभास कुमार गांगुली अर्थात् किशोर कुमार का जन्म खंडवा में 4 अगस्तवर्ष 1929 को हुआ। आपके भाई अशोक कुमार हिन्दी सिनेमा के सुपर स्टार थे। आपने मुम्बई जाकर अभिनय, गायन, कला निर्देशन में नाम कमाया। 13 अक्टूबर वर्ष 1987 को किशोर कुमार का निधन हुआ। जिनका पुश्तैनी मकान खंडवा के बाम्बे बाजार में है। गौरीकुंज सभागृह, किशोर समाधि एवं ऑडिटोरियम नगर निगम ने बनाया है। किशोर दा की स्मृति में प्रदेश सरकार द्वारा प्रतिवर्ष राष्ट्रीय अलंकरण सम्मान समारोह का आयोजन खंडवा में होता है।