अनन्त माहेश्वरी की रिपोर्ट – 

खंडवा नगर के मध्य स्थित धार्मिक स्थल महादेव गढ़ में 12 वीं शताब्दी का शिवलिंग है .जिसका प्राचीन नाम कुंडेश्वर महादेव है . श्रावण मास को लेकर महादेवगढ़ मंदिर में दिव्य अनुष्ठान जारी है। यहाँ नेपाल से बुलाये गये तीन लाख रुद्राक्ष की प्राण प्रतिष्ठा की जाकर उन्हें अभिमंत्रित किया जा रहा है . श्रावण मास की समाप्ति पर इन्ही रुद्राक्ष को श्रद्धालुओं में वितरित किया जाएगा .  मंदिर पुजारी पंडित अश्विन खेड़े ने बताया कि इस दौरान अभिषेकात्मक महारूद्र प्रयोग एवं अखंड ओम नमः शिवाय जाप किया जा रहा है। वहीं शिव पार्थेश्वर पूजन में एक लाख से अधिक शिव पार्थेश्वर का पूजन किया जा चुका है।
दरअसल बाहरवी सदी में बना मन्दिर समय के साथ अपना अस्तित्व खो चुका था . खुले आसमान के नीचे चट्टान में उत्कीर्ण शिवलिंग के नजदीक कुछ लोगो ने भैंसों का तबेला बना रखा था. जब इस शिवलिंग के रखरखाव की बात सामने आई तो मोहम्मद लियाकत पवार द्वारा हाईकोर्ट में याचिका लगा दी .  याचिकाकर्ता मो लियाकत पवार द्वारा बताया गया की मंदिर के नाम पर अतिक्रमण किया जा रहा है. जिसे हटाया जाए . मामला कोर्ट में पहुंचा, तो जिला प्रशासन से जवाब माँगा गया . तब जिला प्रशासन ने इसके प्राचीन होने का सर्वे पुरातत्व विभाग से करवाया . कार्यालय उपसंचालक पुरातत्व इंदौर के तकनीकी सहायक डॉ जीपी पांडेय ने जांच के बाद 13 फरवरी वर्ष 2015 को कलेक्टर कार्यालय को जो रिपोर्ट सौंपी,  उसके अनुसार नगर के इतवारा बाजार में स्थित कुंडलेश्वर महादेव का प्राचीन शिवलिंग 12वीं सदी के होने जिक्र किया।
पुरातत्व विभाग ने अपनी रिपोर्ट में लिखा की प्राचीन मंदिर का धार्मिक के अलावा पुरातत्व की दृष्टि से बहुत महत्व है।12वीं 13वीं सदी में निर्मित प्राचीन अवशेष में मंदिर के गर्भ गृह में बलुआ प्रस्तर जलाधारी सहित शिवलिंग है।  प्राचीन मंदिर का एकमात्र खंबा आज भी अवशेष के रूप में है , जबकि शिवलिंग के कुछ हिस्सों का क्षरण हो चुका है।  यह मंदिर शिवलिंग के पास प्राचीन चट्टानों को काटकर जलाधारी बनी हुई है। शिवलिंग के पास प्राचीन खंडित नंदी की प्रतिमा है। नंदी के गर्दन पर मणि माला पीठ पर और नितंबों पर घंटी के माला का अलंकरण है जो परमार काल के सिर्फ कलाओं का स्मरण कराता है।पुरातत्व विभाग की रिपोर्ट देख कोर्ट ने माना की यहाँ प्राचीन मंदिर था. जिला प्रशासन ने लिखा था की यह भूमि नगर को जल प्रदाय करने वाली कंपनी द्वारा निर्मित बाउंड्री वॉल के भीतर पश्चिम दिशा में स्थित है। इस बाउंड्री वॉल के भीतर एक शिवलिंग एवं नंदी है जहां हिन्दू धर्मावलम्बियों के द्वारा पूजा अर्चना की जाती है। शिवलिंग अस्थाई रूप से टीन व बल्ली से अच्छादित है। तथा इस बाउन्ड्रीवॉल में किसी प्रकार का स्थाई अतिक्रमण नहीं है।तब जाकर विवाद का अंत हुआ .
ज्ञानवापी केस में कोर्ट की पैरवी कर रहे सुप्रीम कोर्ट के वकील विष्णूसंकर जैन ने सोशल मीडिया पर महादेव गढ़ मंदिर की फोटो के साथ आर्टिकल शेयर कर एएसआई भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल भी उठाया था । उन्होंने अपने ट्विटर अकाउंट पर ट्वीट किया था कि जब एसआई खंडवा में शिवलिंग की जांच कर उसके ऐतिहासिक महत्व को बता सकता है तो ज्ञानवापी में क्यों नहीं? इस ट्वीट को हजारों लोगों ने लाइक किया और सैकड़ों लोगों ने रिट्वीट ही किया।
परमार काल में बने शिवलिंग का क्षरण होने से इस पर पीतल की जलाधारी चढ़ाई गई है। महादेव गढ़ मन्दिर संरक्षक अशोक पालीवाल के नेतृत्व में वर्ष भर यहाँ विशेष धार्मिक अनुष्ठान किये जाते है.  लेकिन आज भी यहाँ पक्का निर्माण नही होने से टेंट के नीचे ही भोलेनाथ विराजे है . जहां वर्ष 2015 से अनवरत “ॐ नमः शिवाय” महामंत्र का जाप किया जा रहा है . प्रतिवर्ष श्रावण माह में मुख्य आयोजन के रूप में शिव पार्थेश्वर का पूजन और रुद्राक्ष का पूजन किया जाता है . इसके अलावा भोले कि बारात भी निकाली जाती है, इस धार्मिक आयोजन में हजारो लोग शामिल होते है .मंदिर समिति के अतुल अग्रवाल ने बताया कि महादेवगढ़ मंदिर में भगवान शिव का एकादश रूद्र आवर्तन से अभिषेक किया जा रहा है।
रुद्राक्ष पूजन को लेकर मंदिर पुजारी पंडित अश्विन खेड़े ने बताया कि वैदिक सनातन धर्म का मूल प्रतीक रूद्राक्ष है। रूद्राक्ष की उत्पत्ति शिव के आंसूओं से हुई है। भगवान शिव के तीन नयन हैं सूर्य, चंद्रमा और अग्नि। इन नेत्रों से गिरी बूंदों से 38 प्रकार के रुद्राक्ष उत्पन्न हुए हैं। सूर्य के नेत्र से लाल रंग के 12, चंद्रमा के नेत्र से उज्जवल रंग के 16 तथा अग्नि नेत्र से काले रंग के 10 रुद्राक्ष उत्पन्न हुए।रुद्राक्ष को लेकर अलग-अलग भ्रांतियां हैं जिसमें एक मुखी, पंचमुखी, बारह मुखी व अन्य मुखी पहनने का अलग-अलग प्रभाव बताया गया है लेकिन शुद्ध रुद्राक्ष चाहे किसी भी मुख का हो ऊर्जा देता है। यह सभी रुद्राक्ष शिवजी की आज्ञा से अत्यंत ही कल्याणकारी व अभयदान देने वाले हैं।

By MPNN

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