राकेश पुरोहित की रिपोर्ट-

श्रावण मास के प्रथम सोमवार तीर्थनगरी ओंकारेश्वर में अलग अलग मंदिरों से भगवान भोलेनाथ की दो सवारी निकाली गई।

ज्योर्तिलिंग ओम्कारेश्वर से ओंकारजी महाराज और श्री ममलेश्वर मन्दिर से भगवान ममलेश्वर पालकी में सवार होकर नगर भृमण के लिये निकले।

रिमझिम बारिश के बीच ढोल नगाड़ों की गूंज एवम
बम बम भोले के जयकारों के साथ गुलाल से सरोबार भोलेनाथ के भक्तों की यह सवारी देखते ही बनती थी। जिसका हजारों भक्तों ने भोलेनाथ का अभिवादन किया ।

सावन माह के पहले सोमवार को भगवान ओम्कारेश्वर एवम ममलेश्वर की पालकी अपने निर्धारित समय में मंदिर प्रांगण से निकलकर नर्मदा नदी के कोटि तीर्थ घाट एवं गोमुख घाट पर पहुंची। जहां विद्वान पंडितों के द्वारा ओम्कारेश्वर एवम ममलेश्वर की रजत प्रतिमाओं की पूजा अर्चना कर दूध से अमृता अभिषेक किया।

पूजा, अभिषेक ,आरती के पश्चात पवित्र नर्मदा नदी में भोलेनाथ को नॉका विहार कराया गया।

जिसके पश्चात गौमुख घाट से निकली महासवारी नगर के मुख्य मार्गों से भृमण करते हुए वापस अपने मंदिरों में पहुंची।

महासवारी में शाम भक्तजन भोले शंभू भोलेनाथ का उद्घोष कर नाचते हुए नज़र आये।

भाव विभोर होकर भक्तों ने बरसते पानी के बीच महासवारी की पालकी में विराजित ज्योतिर्लिंग के स्वरूप को निहारा तो वही कपूर आरती की और पुष्प, गुलाल उड़ा कर भोलेनाथ का अभिवादन किया ।

इंद्रदेव ने भी रिमझिम रिमझिम बारिश कर भगवान भोलेनाथ का अभिषेक किया। बोल बम के जयघोष से धार्मिक नगरी गूंज उठी ।

By MPNN

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