नीमच जिले में प्रकृति की गोद में स्थित है प्राचीन महाभारत कालीन केदारेश्वर शिव महादेव मंदिर।
यहाँ निरतंर होता है प्राकृतिक जल से शिव का अभिषेक
सावन के पहले सोमवार को शिव मंदिर में भक्तों का तांता लग रहा है।
मध्यप्रदेश के नीमच जिले का प्राचीन केदारेश्वर शिव महादेव का मंदिर जहाँ पांडवों ने अज्ञातवास का कुछ समय बिताया था। इस दौरान ही इस स्थान पर भीम ने शिवलिंग स्थापित किया। इसी स्थान पर द्रोपदी ने नागचंपा के करीब 11 पौधे लगाए थे। महाभारत कालीन यह स्थान केदारेश्वर महादेव मंदिर के नाम से पहचाना जाता है।इस प्राचीन मंदिर के दर्शन के लिए बड़ी संख्या में श्रद्घालु दूर-दूर से दर्शन करने पहुंचते हैं।
नीमच जिले से करीब 75 किलोमीटर दूर केदारेश्वर मंदिर यह रामपुरा और गांधी सागर के बीच केदारेश्वर महादेव का प्राचीन मंदिर है । यह तहसील रामपुरा से करीब 12 किमी और ग्राम पंचायत सालरमाला से करीब 3 किमी दूर स्थित है। प्रकृति की गोद में केदारेश्वर महादेव मंदिर पहाड़ी की तलहटी में है।यहां का नयनाभिराम दृश्य बरबस ही भक्तों को अपनी ओर आकर्षित कर लेता है।यह प्राकृतिक सोंदर्य से सराबोर है । ऊँची ऊँची पहाड़ियों का सौंदर्य भक्तो को अपनी ओर आकर्षित करता है।
पहाड़ी से सालभर झरना बहता है और शिवलिंग का अनवरत जलाभिषेक होता है। मंदिर के अस्तित्व के दौरान से पूजा-अर्चना का दायित्व संभाल रहे पुजारी परिवार के सदस्य पुजारी गिरधारी नाथ योगी और भाई शंभूनाथ योगी ने बताया कि रामपुरा और आसपास का क्षेत्र पूर्व में होलकर रियासत के अधीन रहा।
देवी अहिल्याबाई होलकर ने मंदिर परिसर में धर्मशालाओं का निर्माण कराया।
क्षेत्र के लोगों से मिली जानकारी के अनुसार देवी अहिल्याबाई होलकर ने मंदिर परिसर में धर्मशालाओं का निर्माण कराया। कालांतर में अष्टधातु की जलाधारी, नाग और मुकुट भेंट किया था।