रायसेन जिले के भोजपुर का भोजेश्वर मंदिर 11 सदी से 13 वीं सदी की मंदिर वास्तुकला का एक अद्वितीय उदाहरण है। दसवीं शताब्दी में राजा भोज द्वारा निर्मित किया गया था। लेकिन यह अधूरा मंदिर हें। अगर यह मंदिर पूर्णरूप से निर्मित होता तो पुराने भारत का अपनी तरह का एक आश्चर्य होता है। मंदिर का पूरी तरह भरा हुआ नक्काशीदार गुम्बद और पत्थर की संरचनाएं, जटिल नक्काशी से तैयार किये गए प्रवेश द्वार और उनके दोनों तरफ उत्कृष्टता से गढ़ी गई आकृतियाँ देखने वालों का स्वागत करती हैं।मंदिर की बालकनियों को विशाल कोष्ठक और खंभों का सहारा दिया गया है। मंदिर की बाहरी दीवारों और ढाँचे को कभी बनाया ही नहीं गया। मंदिर को गुंबद के स्तर तक बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया गया मिट्टी का रैम्प अभी तक दिखाई पड़ता है, जो हमें इमारत निर्माण कला (चिनाई) में पुरातन बुद्धिमत्ता का स्वाद चखाता है।भोजपुर, बलुआ पत्थर की रिज जो मध्य भारत की विशेषता है, पर स्थित 11 वीं सदी का एक शहर है। यह मध्य प्रदेश के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। बेतवा नदी पुनः बनाए गए इस प्राचीन शहर के पास बहती है जो भोजपुर पर्यटन में पुरानी दुनिया के आकर्षण का समावेश करती है। यह शहर, मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल से 28 किलोमीटर की मामूली सी दूरी पर स्थित है /यहाँ ग्यारहवी शताब्दी की पर्याप्त बुद्धिमत्ता से निर्मित दो बाँधों वाली विस्मयकारी संरचना है, जो बेतवा नदी का रुख मोड़ने और पानी को रोकने के लिए भारी पत्थरों से बनाई गई थी, जिनसे एक झील का निर्माण हुआ था। भोजपुर का यह नाम परमार राजवंश के सबसे शानदार शासक राजा ‘भोज’ के नाम पर रखा गया था। उनके शासनकाल के तहत बिना तराशे हुए बड़े पत्थरों की इमारत बनाने की एक प्राचीन शैली द्वारा (विशाल चिनाई) द्वारा निर्मित यह बांध अवश्य देखे जाने वाले स्थानों में से एक है। चाहे आप अचानक पहुँचने वाले पर्यटक हों या फिर वास्तुकला के पुजारीसभी भोजपुर मंदिर और शिवलिंग के आकार कों देखकर आश्चर्य चकित हों जाते हें।
भोजपुर और उसके आसपास के पर्यटक स्थल भोजेश्वर मंदिर को पूर्व के सोमनाथ के नाम से भी जाना जाता है जो भारत की उन अद्भुत संरचनाओं वाली इमारतों में से एक है, जिसे एक बार ज़रूर देखा जाना चाहिए। इस प्राचीन शहर के दैत्य जैसे बांधों के अवशेष आपको आश्चर्य में डाल देंगे। ‘अधूरा’ होने का तथ्य ही इस प्राचीन शहर को अनूठी गुणवत्ता प्रदान करता है, उन चट्टानी खदानों में जाना बहुत ही रोमांचकारी होता है जहाँ आप हाथ से तराशे गए पत्थर के मूर्ति शिल्प को देख सकते हैं जो कभी एक पूरे मंदिर या महल का रूप नहीं ले पाए। हर दूसरे ऐतिहासिक पर्यटन स्थल पर आप प्राचीन शहर के खंडहरों का निरीक्षण कर सकते हैं पर यहाँ वास्तव में वो शहर है जो कभी पूरा ही नहीं किया गया।यहाँ भक्तो की कतार सुवह से लगी हुई हैं मंदिर में देश दुनिया से भक्त आतें हैं और यहाँ आकर शिव भक्ति में लींन हो जातें हें। हजारो की संख्या में भकरो का ताता लगा हुआ हैं। यह एक ऐतिहासिक धरोहर के साथ ,धार्मिक प्राचीन धरोहर हैं।
प्रशासन ने इस बार अच्छी व्यवस्थाये की हैं और भक्तो को शिवलिंग के दर्शन आसानी से हो रहें हैं । बच्चो के मनोरंज के लिए विशाल मेला लगा हुआ हैं । पुलिस और मिलेट्री दोनों मन्दिर व्यवस्थाओ को संभाले हुए हैं । वही नेता और अधिकारियो का आना जाना लगा हुआ हैं।