अनन्त माहेश्वरी की रिपोर्ट-
वनवास के दौरान खांडव वन में रुके थे राम।
माता सीता को प्यास लगने पर जमीन में तीर मारा तो फूटी थी जलधारा।
रामेश्वर कुंड और सीता बावड़ी अत्यधिक प्राचीन स्थान।
खंडहर हो चुके मन्दिर में है माता सीता की प्राचीन प्रतिमा।
रामेश्वर कुंड क्षेत्र होगा सीता माता के मंदिर का जीर्णोद्धार।
राम की जन्मभूमि अयोध्या में राम लला का भव्य मंदिर बनकर तैयार हो रहा है। जहां 22 जनवरी को भगवान राम की प्रतिमा विधि विधान से विराजित की जावेगी।
अयोध्या के राम को तो वनवास से मुक्ति मिल गई। लेकिन ऐसे कई राम मंदिर है, जो आज भी अपने निर्माण की बाट जोह रहे है।
किवदन्ती के अनुसार मध्यप्रदेश के खण्डवा को खांडव वनों से जोड़कर भी देखा जाता है। प्राचीन मान्यताओं के अनुसार खण्डवा, खांडव वन का हिस्सा रहा है। इस क्षेत्र पर पहले राजा खर दूषण का राज भी माना जाता है। भगवान् राम ने अपने चौदह वर्ष का वनवास खांडव (खंडवा) वन में बिताया। इस दौरान जब सीता माता को प्यास लगी तो उन्होंने जमीन में तीर मारा तो जलधार फुट पड़ी ।
खंडवा के रामेश्वर आम्र कुंज के बीच बना राम बाण कुआँ इस तथ्य की पुष्टि करता है।
प्रचलित कथा के अनुसार अयोध्या से वनवास के दौरान निकले श्री राम, खंडवा के इस क्षेत्र में एक दिन रूके थे। यहां पर सीता माता को प्यास लगने पर धरती पर बाण चलाकर जलधारा निकाली थी। इसे आज रामबाण कुआं के नाम से जाना जाता है। रामेश्वर आम्रकुंज के इसी क्षेत्र में प्राचीन सीता बावड़ी भी है। इसके पास प्राचीन श्रीराम मंदिर भी बना हुआ है। जिसमे माता सीता की प्राचीन मूर्ति विराजित है। कुछ लोग इसे राम मंदिर तो कुछ लोग इसे माता सीता के मन्दिर के नाम से जानते है।
एक जर्जर हो चुके घर में स्थापित इस मंदिर व अन्य मकानों के बीच दबी सीता बावड़ी के बारे में कम ही लोग जानते हैं।
रामेश्वर कुंड से कुछ ही दूरी पर है, सीता बावड़ी और सीता माता का मंदिर, जो जर्जर हो चुका है।
मन्दिर की छत में लगे टीन शेड का सहारा भी छूटने लगा है।
इसी मंदिर का जीर्णोद्धार किया जाना है।
सीता बावड़ी के ठीक पास प्राचीन सीता मंदिर में माता सीता के साथ लक्ष्मी नारायण ,भोले बाबा की प्रतिमा भी विराजित है।
यह भूमि पवित्र और पूजनीय है, ऐतिहासिक सीता बावड़ी काफी प्राचीन है । आज भी उसमें साफ पानी स्पष्ट दिखाई देता है, गर्मी के मौसम में भी यहा पानी रहता है, रखरखाव के अभाव में कचरा मलवा वह अन्य सामग्री काई जमने से यह ऐतिहासिक सीता बावड़ी अवस्थित हो रही है। तत्काल इस सवारने की आवश्यकता है।
समाजसेवी सुनील जैन ने बताया कि हमारे आने वाली पीढ़ी के लिए यह आवश्यक है कि सीता बावड़ी के साथ इस मंदिर का जीणाेद्धार भी किया जावे। जिससे श्रद्धालु यहां आकर दर्शन कर सकेंगे और इस मन्दिर की महिमा को भी जान सकेंगे।
रामेश्वर आम्र कुंज क्षेत्र में सीता मन्दिर के पास अति प्राचीन शिव मंदिर राम दरबार ,हनुमान मंदिर, साई मंदिर, गायत्री माता मंदिर और परशुराम जी का भी मंदिर स्थापित है।
मन्दिर के पुजारी राजेन्द्र नाथ योगी बताते है कि यह श्रीराम मंदिर प्राचीन है। कई पीढ़ियों से हमारा परिवार राम मंदिर व सीता बावड़ी के आसपास रहकर पूजन कर रहा है। इनके बारे में कम लोग ही जानते हैं।
खंडवा में स्थित इस मंदिर के जीर्णोद्धार हेतु एक समाजसेवी ने सहमति प्रदान की है। समाजसेवी रितेश गोयल ने कहा कि हमारा सौभाग्य होगा कि अयोध्या में जहां भगवान श्री राम विराजमान होंगे ,वहीं दूसरी ओर खण्डवा जिले के रामेश्वर की यह स्थली जहां भगवान राम सीता ने कदम रखे थे , यहां माता सीता के मंदिर का निर्माण होगा। यह एक पुण्य कार्य होगा ,श्रद्धालु आकर दर्शन कर सकेंगे । इस प्राचीन मंदिर की देखरेख कर रहे लोग यदि तैयार हो जाते हैं ,तो शीघ्र ही इस मंदिर का निर्माण कार्य शुरू हो जाएगा। और संभवत देश का यह पहला सीता मंदिर खंडवा में होगा।
अयोध्या के राम को वनवास से मुक्ति मिल गई।
लेकिन मध्यप्रदेश के खण्डवा में माता सीता को अब तक वनवास भुगतना पड़ रहा है।
माता सीता को जर्जर टीन शेड के मन्दिर से कब मुक्ति मिलेगी?
आखिर कब होगा अति प्राचीन मंदिर का जीर्णोद्धार ?