स्पेशल स्टोरी- अनन्त माहेश्वरी

मध्यप्रदेश के खण्डवा जिले के छोटे से गांव दीपला के निवासी मुस्लिम कवि *अकबर ताज* को अयोध्या से बुलावा आया है। जो वहां 14 जनवरी को आयोजित कवि सम्मेलन में श्री राम पर काव्य पाठ करेंगे।
जन्म से नेत्रहीन यह कवि अपनी राम की कविताओं के लिए जाने जाते है। सबसे खास बात की इन्होंने किसी तरह की कोई तालीम हासिल नही की। बावजूद इसके वे देश के बड़े मंचो पर काव्य पाठ करते है।

खण्डवा के मुस्लिम कवि अकबर ताज को अयोध्या से बुलावा आया है। जो वहां राम पर काव्य पाठ करेंगे

खण्डवा जिले के जिस गांव दीपला में रहते है। वहां साम्प्रदायिक सौहार्द बिगड़ने पर दो लोगो की हत्या हो चुकी है। उन सबके बीच रहकर राम नाम और साम्प्रदायिक सौहार्द की अलख जगा रहे है।

अकबर ताज किसी स्कूल में नही गए। ना ही कोई तालीम हासिल की। जो बचपन से ही कविता लिख रहे है। अकबर मस्जिद भी जाते है, राम पर काव्य पाठ भी करते है।

राम बनो तो राम के जैसा होना पड़ता है
अकबर ताज ने चर्चा में अपनी रचनाएं सुनाते हुए कहा, राम बनो तो राम के जैसा होना पड़ता है, राजमहल को छोड़ के बन में सोना पड़ता है।राम कथा को पढ़ लेना तुम आज के राजाओं, धर्म की खातिर राज सिंहासन खोना पड़ता है।उन्होंने कुछ यूं भी लिखा कि यहां भी राम लिख देना, वहां भी राम लिख देना, ये अकबर ताज कहता है कि चारों धाम लिख देना।समंदर में भी फेंकोगे तो पत्थर तैर जाएंगे, मगर उन पत्थरों पर रामजी का नाम लिख देना।भगवान श्रीराम के चरित्र से प्रेरित होकर उन्होंने लिखा है कि मुझे तू राम के जैसा या फिर लक्ष्मण बना देना।

सिया के मन के जैसा मन मेरा दर्पण बना देना, मुझे अंधा बनाया है तो मुझको गम नहीं इसका, मेरी संतान को भगवन मगर श्रवण बना देना।

अकबर ने अपनी रचनाओं में भगवान श्रीराम के वनवास गमन के दृश्य का भी बखूबी प्रस्तुत किया है।उन्होंने लिखा है राम बनवास पर जब चले, सब अयोध्या के घर रो दिए।कैकई तुझको दुख ना हुआ, बाकी सब नारी नर रो दिए।राम के वन गमन की खबर, मां कौशल्या को जिस दम मिली।मां की ममता तड़पने लगी, दिल जिगर टूटकर रो दिए।

*राम का गुणगान करने वाले खण्डवा के अकबर को भी बुलावा आया। वे लिखते है कि

*बनारस की सुबह वाले अवध की शाम वाले हैं, हम ही सुजलाम वाले हैं, हम सुफलाम वाले हैं, वजू करते हैं पांचों वक्त हम गंगा के पानी से, तुम्हारे ही नहीं श्रीराम, हम भी राम वाले हैं।*

कविता की यह पंक्तियाँ कवि अकबर द्वारा रचित है। जिन्हें अयोध्या से बुलावा आया है। मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम से मुस्लिम समुदाय के लोग भी प्रभावित हैं . अकबर बोले- हम भी राम वाले… गंगा जल से पांचों वक्त करते हैं वजू

44 वर्षीय अकबर ताज को जगद्गुरु संत रामभद्राचार्य ने 14 जनवरी को अयोध्या में होने वाले विशेष आयोजन में प्रस्तुति के लिए आमंत्रित किया है। अकबर ताज अपनी रचनाओं से देशभर में श्रीराम के चरित्र का गुणगान कर रहे हैं। वह कहते हैं भगवान श्रीराम सबके हैं। उनका अवतार मानव जाति की भलाई के लिए हुआ।

अकबर दिल्ली, जयपुर, हैदराबाद, लखनऊ व सूरत सहित देशभर के हिंदी मंचों पर रचनापाठ कर चुके हैं। रामलला पर आधारित उनकी रचनाओं ने उन्हें खूब सम्मान दिलाया। अयोध्या में 22 जनवरी को रामलला की मूर्ति की प्राण-प्रतिष्ठा को लेकर वह खुश हैं। वह कहते हैं,

राम बनो तो राम के जैसा होना पड़ता है, राजमहल को छोड़ के वन में सोना पड़ता है, राम कथा को पढ़ लेना तुम आज के राजाओं, धर्म की खातिर राज सिंहासन खोना पड़ता है।

By MPNN

error: Content is protected !!