मनीष जैन की कलम से –
।। जय श्री दादाजी की ।।
श्री दादाजी धूनीवाले कई नामों से पहचाने गए। उनका वास्तविक नाम तो श्री केशवानंद जी ही था। वे सालो तक साई खेड़ा में रहे इसलिए भक्त उन्हें साई खेड़ा वाले दादाजी के नाम से भी जानते है। हमेशा डंडा उनके पास होता था, वों डंडा जिसे पड़ जाए उसके भाग्य खुल जाते थे। इसलिए कई भक्त उन्हें डंडे वाले दादाजी भी कहते है।
होशंगाबाद में नर्मदा माई किनारे वे रामफल दादा के रूप में लीलाएं करते रहे।
बताते है कि रामफल दादा एक बार होशंगाबाद में कुएं की मुंडेर पर बैठे बैठे अचानक बोले कि हम जल समाधि लेंगे और कुएं में छलांग लगा दी। लोग जमा हुए, पुलिस आई। शव को बाहर निकाला और बकायदा पंचनामा बनाने के बाद उनका अंतिम संस्कार किया गया। भक्तो को यह विश्वास हो गया कि दादाजी अब नहीं रहे।
कुछ ही समय बाद वहीं रामफल दादा याने दादाजी धूनीवाले उसी रंग रूप आकार प्रकार नख से लेकर शीश तक सोहागपुर के जंगल में फिर प्रगट हो गए। एक बार फिर भक्तो का तांता लग गया। ऐसे ही एक बार नरसिंहपुर में नर्मदा किनारे राम घाट पर भी गुरु पूर्णिमा की तैयारी के बीच नर्मदा नदी में उन्होंने समाधि लेे ली थी।
किन्तु खण्डवा में समाधि लेने के बाद वे पिछले नब्बे साल में तो कहीं और दिखाई नहीं पड़े। इसलिए खण्डवा का नाम है। दादाजी ही खण्डवा की पहचान है।
खण्डवा आने से पहले दादाजी ने आखिरी चातुर्मास बड़वाह के खेडी घाट में किया था। यहां नर्मदा एक बार भयंकर ऊफ़ान पर आ गई। घबराएभक्त दादाजी के पास पहुंचे….फिर क्या हुआ ? फिर क्या हुआ ? जानिये अगले अंक में ….क्रमश:
मनीष जैन, दादाजी के चरणों में सादर समर्पित

लेखक परिचय – मनीष जैन, मार्केटिंग, पत्रकारिता और सामाजिक सरोकार से जुड़े विषयो पर त्वरित टिप्पणीकार।
जैन चौक रामगंज खण्डवा [मध्यप्रदेश] 98272 75400

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