मनीष जैन की कलम से –
।। जय श्री दादाजी की ।।
दादाजी धूनीवाले ने अपने चमत्कार और लीलाएं नर्मदा नदी के आसपास ही दिखाई। खोकसर, होशंगाबाद, बरेली, नरसिंहपुर, साई खेड़ा, बड़वाह इत्यादि।
साल 1930 का चातुर्मास उन्होंने खेडीघाट में किया। एक बार इसी दरमियान नर्मदा खूब उफान पर आई। इतनी की सारे घाट जलमग्न। बस्ती खाली हो गई। भक्त छोटे दादाजी के पास और गुहार लगाई की भगवान ये स्थान हमें खाली करना पड़ेगा। पानी तेजी से बड़ रहा है। सब बड़े दादाजी के पास पहुंचे और घबराते हुए अपनी बात रखी। तभी दादाजी बोले…अरे। नर्मदा मोड़ी हमाय पैर छुने आई है तनक हमें उसके पास लेे चलो। भक्तो ने दादाजी को नर्मदा मैया के पास पहुंचाया और दादाजी ने जैसे ही अपने पैर के अंगूठे से नर्मदा नदी को स्पर्श किया कि पानी तेजी से कम होने लगा देखते ही देखते रात भर में नर्मदा नहीं शांत होकर बहने लगी।
दादाजी ने ऐसा ही एक चमत्कार उज्जैन में भी दिखाया था। उज्जैन बड़नगर मार्ग पर हनुमंत बाग में दादाजी आए तो भक्तो ने कहा कि दादाजी यहां एक कुआं है मगर उसमे बरसो से पानी नहीं है। बहुत परेशान है। कुछ दया कीजिए। फिर दादाजी क्या बोले…?फिर क्या हुआ ? जानिये अगले अंक में ….क्रमश:
मनीष जैन, दादाजी के चरणों में समर्पित
लेखक परिचय – मनीष जैन, मार्केटिंग, पत्रकारिता और सामाजिक सरोकार से जुड़े विषयो पर त्वरित टिप्पणीकार।
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