मनीष जैन की कलम से –
।। जय श्री दादाजी की ।।
कल मैंने उज्जैन के हनुमंत बाग में सूखे कुएं का जिक्र किया था। दादाजी महाराज को जब भक्तो ने परेशानी बताई तो वो बोले अरे छिप्रा मोड़ी भूखी है, तनक टिक्कड़ बाटी तो बनाओ। भक्तो ने दादाजी का आदेश मिलते ही भंडार की और दौड़ लगाई। टिक्कड़, बाटी बनाकर थाल दादाजी को भेट की।
दादाजी उठे, और उस सूखे कुएं के पास जाकर बोले अरे क्षिप्रा मोड़ी, ईते तो आ, तनक बाटी तो खा ले दादाजी का आव्हान सुन उस सूखे कुएं में देखते ही देखते सहस्त्रों जल धाराएं फुट पड़ी। कुआं जल से लबालब भर गया। भक्तो ने दादाजी का यह चमत्कार अपनी आंखो से देखा।
आज भी वह जल से भरा हुआ कुआं मौजूद है। वो हनुमंत बाग भी है। उज्जैन से बड़नगर मार्ग पर…। मैं दादाजी धूनीवाले का बोर्ड भी लगा हुआ है। वह कुआ, वह स्थान जहां दादाजी महाराज बैठते थे वो भी सुरक्षित है।
अपने उज्जैन प्रवास के दौरान दादाजी ने एक बार एक शवयात्रा को।देखा तो पूछ लिया की ये क्या है ? भक्त बोले कोई मर गया है। उसकी शवयात्रा लेे जा रहे है। यह सुन दादाजी बोले कि अरे अरे जरा इनको रोको। बुलाओ तो मेरे पास भक्तो ने शवयात्रा वालो को बोला कि दादाजी कुछ कहना चाहते है जरा चलो। अंतिम यात्रा दादाजी के पास आकर ठहर गई। दादाजी के सामने शव रख दिया गया। तभी दादाजी ने एक डंडा शव को मारा और वह व्यक्ति जीवित हो उठा। आगे क्या हुआ. अगले अंक में
लेखक परिचय – मनीष जैन, मार्केटिंग, पत्रकारिता और सामाजिक सरोकार से जुड़े विषयो पर त्वरित टिप्पणीकार।
जैन चौक रामगंज खण्डवा [मध्यप्रदेश] 98272 75400