मनीष जैन की कलम से –
।। जय श्री दादाजी की ।।दादाजी धूनीवाले जिन्हें रामफल दादा के नाम से भी जाना जाता था, वे होशंगाबाद में सन 1892 से 1895 टक करीब तीन साल रहे। बच्चों में उनका घुलना, मिलना, हलवाई की दुकान से मिठाईयां लूटकर बच्चों को बाट देना…रोज की बात थी। बच्चों की टोली में दादाजी बहुत लोकप्रिय थे।
एक बार सारे मिठाई वाले इकठ्ठा होकर दादाजी से बोले दादाजी, आपके इस तरह से मिठाई बच्चों को बाँट देने से हमको बहुत नुकसान होता है। आखिर ऐसा कब तक चलेगा ? इस पर दादाजी बोले ठीक है सब अपना अपना हिसाब बनाकर लाओ की किसको क्या नुकसान हुए है। दूसरे दिन सभी हिसाब बना कर डरते डरते दादाजी के पास पहुंचे ही थे कि दूर से देखकर दादाजी बोले…. ले आए हिसाब। जाओ।वो पत्थर के नीचे पैसे रखे है उठा लो।
चमत्कार यह था कि वे सब जितना हिसाब बनाकर लाए थे, उन्हें उतने ही पैसे वहां पत्थर के नीचे रखे मिले। यह देख सब दंडवत हो गए। सबने दादाजी की जय कार की। होशंगाबाद में भी दादाजी का दरबार है।
एक बार तो दादाजी को बहुत गुस्सा आया, उन्होंने अपना डंडा उठाया और होशंगाबाद की बहुत सारी स्ट्रीट लाइट फोड़ दी।बात पुलिस को मालूम पड़ी तो दरोगा ने दादाजी को हवालात में बन्द कर दिया। आखिर दादाजी गुस्सा क्यों हुए ? फिर क्या हुआ ? जानिये अगले अंक में ….क्रमश:
लेखक परिचय – मनीष जैन, मार्केटिंग, पत्रकारिता और सामाजिक सरोकार से जुड़े विषयो पर त्वरित टिप्पणीकार।
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