मनीष जैन की कलम से -।। जय श्री दादाजी की ।।
दादाजी की लीलाओं का केंद्र रहे होशंगाबाद में दादाजी ट्रेन में बैठे थे। ट्रेन के ड्राइवर, गार्ड और यात्री परेशान की आखिर हुआ क्या है ? ट्रेन चल क्यों नहीं रही ? तभी लोगो को मालूम पड़ा कि दादाजी महाराज डिब्बे में दोनों हाथ जकड़े बैठे है तो उनसे निवेदन किया कि भगवान कुछ कीजिए।
रेल के ड्राइवर, गार्ड के निवेदन पर दादाजी ने अपने हाथ जो आपस मै बांध रखे थे उन्हें खोल दिया और बोले जाओ चालू करो रेल। फिर जैसे ही प्रयास किया रेल चल पड़ी। ऐसे कई चमत्कार दादाजी ने दिखाए।
दादाजी के जन्म का कोई प्रमाण उपलब्ध नहीं है। न ही उनके माता पिता का कोई उल्लेख। वे अवतार पुरुष थे। श्री गौरीशंकर जी महाराज की जमात में एक बार मां की खोज करते हुए एक सात साल का बालक आया था। जिसे जमात के बाकी साधु अपने गुरु श्री गौरीशंकर जी के पास लेे आए। उन्होंने ही इस बालक को माधव नाम दिया। यही बालक आगे चलकर कृष्णा नंद और फिर केशव से केशवानंदजी महाराज बने। जिन्हें हम दादाजी के नाम से जानते एवं पूजते है।
बचपन से ही माधव पराक्रमी थे। वे जमात में भंडार में स्वादिष्ट व्यंजन, मालपूए इत्यादि बनाया करते थे। एक बार उनके साथियों ने गुरु जी से शिकायत कर दी कि माधव तो भंडार का खूब घी खर्च कर देते है। जब उनसे यह बात पूछी गई तो पता है उन्होंने क्या जवाब दिया ? क्रमश;

लेखक परिचय – मनीष जैन, मार्केटिंग, पत्रकारिता और सामाजिक सरोकार से जुड़े विषयो पर त्वरित टिप्पणीकार।
जैन चौक रामगंज खण्डवा [मध्यप्रदेश] 98272 75400

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