मनीष जैन की कलम से –
।। जय श्री दादाजी की ।।
दादाजी के गुरु थे श्री गौरी शंकर महाराज और उनके गुरु थे श्री कमल भारती जी महाराज। जिन्होंने नर्मदा परिक्रमा का विधान बनाया था। केवल नर्मदा नदी ही है जिसकी परिक्रमा होती है ।
हा, तो बात थी कि माधव (दादाजी का बचपन का नाम ) पर आरोप था कि वो भंडार का खूब घी उपयोग करते है। जब उनसे पूछा तो वे बोले कि नहीं, हम तो भंडार का घी लेते ही नहीं। हमे तो माई सब देती है। जब भी जरूरत होती है, नर्मदा माई से पानी लेकर कड़ाई में डाल देते है। बस उससे स्वादिष्ट व्यंजन बना लेते है यह सुन गुरु गौरी शंकर जी महाराज समझ गए कि यह कोई साधारण बालक नहीं है।
कम ही समय में माधव जमात में सबके प्रिय हो गए। उन्हें वेदों के ज्ञान के लिए काशी भेजा गया। आचार्य पद पाकर वापस आए तब उनका नाम कृष्णानंद जी महाराज रखा गया।
दादाजी जमात के महंत भी बने, बाद में वे हिमालय की यात्रा पर चले गए। नेपाल भी पहुंचे। इसी दरम्यान नेपाल नरेश त्रिविक्रम सिंह के राज में वे एक दिन राजमार्ग पर पेशाब करने लगे, संतरी ने रोका तो नाराज हो गए। बोले जा तेरे राजा को बोल दादा धुनीवाला आया है। महाराज को बुलवाया और कहा कि तुम्हारे राज में हमारे लिए पेशाब करने लायक जगह भी नहीं है क्या ? राजा ने विनम्रता से कहा कि दादाजी पूरा नेपाल आपका है। दादाजी बोले नहीं। हमको तो पेशाब करने लायक जगह चाहिए। ऐसा करो, कल एक खच्चर पर 7-8 दिन की खाने पीने की सामग्री रखकर चलो तब हम ढूंढेंगे जगह।
फिर जो हुआ, वो सुनकर आप भी दंग रह जाएंगे। धूनीवाले की इस निराली लीला पर क्रमश:

लेखक परिचय – मनीष जैन, मार्केटिंग, पत्रकारिता और सामाजिक सरोकार से जुड़े विषयो पर त्वरित टिप्पणीकार।
जैन चौक रामगंज खण्डवा [मध्यप्रदेश]98272 75400

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