मनीष जैन की कलम से -।। जय श्री दादाजी की ।।
नेपाल नरेश और दादाजी धूनीवाले के बीच हुई घटना बड़ी दिलचस्प है। दादाजी, बस पेशाब करने लायक जगह चाहते थे। महाराज, उनका वजीर और कुछ लोग दादाजी के साथ चल पड़े। दादाजी ने पेशाब करना शुरू की तो वे डेढ़ मील तक चलते ही गए किन्तु पेशाब बन्द नहीं हुई.यह देख सब भयाक्रांत ही गए। महाराज भी समझ गए कि ऐसे तो पूरी जमीन ही दादाजी नाप लेंगे। नेपाल नरेश दंडवत नमन करने लगा कि दादाजी ये राज्य आपका ही है। आप तो बस यही रुक जाइए। तब दादाजी वहीं रुक गए। यहां करीब 3-4 महीने दादाजी ने धूनी रमाई ।
दादाजी के नेपाल प्रवास के दौरान एक बार महाराज ने कीमती दुशाला (शाल) दादाजी को भेट की। दादाजी अक्सर बहुमूल्य उपहार भी धूनी में स्वाहा कर देते थे। सो महाराजा द्वारा दिया उपहार भी उन्हीं आँखो के सामने धूनी में डाल दिया। यह देख सब लोग हतप्रद रह गए और वह शाल जलकर राख हो गई। राजा को बुरा तो लगा किन्तु उन्होंने कुछ कहा नहीं।
इधर…..कुछ दिनों के बाद महाराजा ने वजीर को यह कहकर वो शाल वापस मंगाई की राजा आपको इससे भी कीमती दूसरी शाल देंगे। इसलिए वो शाल वापस कर दीजिए।फिर क्या हुआ ? क्योंकि शाल तो जल कर खाक हो चुकी थी।
वो दुषाला जो दादाजी ने धूनी में डाल दी थी, उसे वापस निकाल के देना कैसे संभव था ? किन्तु दादाजी ने बोला कि हमारी परीक्षा लेे रहा है। ये लेे तेरी दुशाला….। और दादाजी ने जलती धूनी में से शाल वापस निकाल के वजीर को चमत्कार दिखा दिया।दादाजी नेपाल से आसाम तरफ भी गए। वहा से लौटने के बाद होशंगाबाद, सोहागपुर, नरसिंहपुर, साई खेड़ा में लीलाएं दिखाई। साई खेड़ा में एक घटना बड़ी दिलचस्प है। साल 1921 के करीब की बात है…..
दादाजी साई खेड़ा में विराजमान थे। तभी उन्होंने एक भक्त को कहा कि अरे ओ मोड़ा, इत्ते तो आ। कोई समुंदर किनारे आजादी के विषय में कुछ बोल रहा है। जरा सुन तो लेे। सब आश्चर्य चकित की दादाजी क्या बोल रहे है ? लोगो ने सामने लकड़ी के खंभे से कान लगाया तो पाया कि बंबई में चौपाटी पर महात्मा गांधी भाषण दे रहे है, जिसे साई खेड़ा में भक्तो ने लाइव सुन लिया। बंबई से साई खेड़ा 500 km दूर था लेकिन उस जमाने में भी दादाजी ने यह चमत्कार करके दिखा दिया। दूसरे दिन अखबारों में वहीं खबर हू ब हूं छपी। ऐसे ही एक बार छपरा के माल गुजार से दादाजी आधी रात को बोले कि दुधी नदी से तीन लोटा पानी लेे आ। वो पानी लाए तो उसे धूनी में डलवा दिया। और डपटते हुए कहा कि भाग, अभी तेरे गांव जा। निकल यहां से….।
दादाजी ने माल गुजार को आधी रात नदी से पानी लाने को क्यों कहा ? उसे रातों रात घर भाग जाने को क्यों कहा ? इस पर रहस्य से पर्दा उठेगा-अगले अंक में
लेखक परिचय – मनीष जैन, मार्केटिंग, पत्रकारिता और सामाजिक सरोकार से जुड़े विषयों पर त्वरित टिप्पणीकार।
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