मनीष जैन की कलम से -।। जय श्री दादाजी की ।।
दादाजी महाराज सर्वज्ञ थे। वे कहते थे कि जो मोके भजे वा को तारु…जो भजे ना वा को मारू…। दादाजी ने छपरा के माल गुजार से आधी रात पानी मंगवाकर धूनी में डलवाया और उसे तत्काल गांव जाने का आदेश दे दिया। क्यों ?
जब माल गुजार अपने गांव पहुंचा तो उसके पैरो से जमीन खिसक गई। गांव में आगजनी की घटना हो गई, सारी बस्ती जल गई…केवल माल गुजार का घर साबित बचा था। वो समझ गया की दादाजी ने धूनी में पानी क्यों डलवाया। रातों रात उसे घर क्यों भेजा।
दादाजी इस तरह अपने भक्तो की रक्षा करते है। इसीलिए तो दादाजी दरबार में उदघोष किया जाता है कि रक्षा करो हमारी….श्री दादाजी धूनी वाले। दादाजी नरसिंहपुर जिले के साई खेड़ा और उससे पहले सिर सिरी संदूक नामक ग्राम में प्रगट हुए थे। विशाल वट वृक्ष के नीचे….यहां तक मैंने हाल ही में यात्रा की। सिर सिरी संदूक गाव में जिस माल गुजार परिवार में दादाजी दो साल रहे, उनसे मिलने का सौभाग्य भी मिला। श्री सत्य नारायण बोहरे (75) बताते है कि उन्होंने दादाजी की धूनी व स्थान मंदिर के रूप में सहेज कर रखा है।
माल गुजार बोहरे बताते है कि उनके दादा की मालिश को एक नाई उनके घर आता था, एक बार दादाजी बोले ये कौन है ? जब उन्हें बताया गया कि नाई है तो दादाजी धूनी वाले बोले कि तनक़ हमाय हाथ पैर भी दबा दे मगर उस नाई ने नहीं सुना और चला गया। उसके बाद जो हुआ वो जानकार आपके रोंगटे भी खड़े हो जाएंगे। आपको जरूर बताऊंगा मगर कल।
आज इतना ही। जय श्री दादाजी की।
नोट-साई खेड़ा से सिर सिरी संदूक मात्र 15 km होगा। पक्की सड़क है। इसी गांव के पास वह विशाल अति प्राचीन वट वृक्ष है। ठीक बाजू में नर्मदा नदी बहती है। वहा तक पहुंचने के लिए सरकार ने पक्की सड़क बना दी है.
लेखक परिचय – मनीष जैन, मार्केटिंग, पत्रकारिता और सामाजिक सरोकार से जुड़े विषयो पर त्वरित टिप्पणीकार।
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