लो जी महान” अमिताभ बच्चन जैसी दीवार को भी कोरोना हो गया और यहां तुम सब, हेरा फेरी करके, बीस रुपये का मास्क पहनकर, मर्द बने घूम रहे हो,!
आनंद ये अग्निपथ है,जो घर पर रुकेगा वही शहंशाह बनेगा, नहीं तो सोच लो कहीं डॉन बनने के चक्कर मे लावारिस, अजूबा नमक-हराम न बन जाओ देख लो खुदा गवाह है कोई भी लावारिस को सूर्यवंशम बचाने नहीं आएगा,
अगर कोरोना की जंजीर तोड़नी है तो,इस आखरी रास्ते पर मजबूर बनकर अकेले-अकेले चलना है।फिर मत कहना कि मिस्टर नटवरलाल ने बताया नहीं। वैसे भी ये अंधा कानून, काला पानी जैसी सज़ा दे रहा है जिससे तकदीर, लाल बादशाह जैसी हरी नही, शराबी की आंखें जैसी लाल होना तय है।
