अनंत माहेश्वरी की रिपोर्ट
दोस्तों आज हम बात कर रहे है, मानव तस्करी के बारे में . यह एक गंभीर विषय है.

ऐसी कई चीजें हैं जो किसी व्यक्ति की तस्करी का कारण बन सकती हैं। हो सकता है कि उन्हें किसी ने अगवा कर लिया हो, या किसी ने उन्हें मजबूर किया हो; सैकड़ों हज़ारों पीड़ितों को जबरन श्रम, घरेलू दासता, बाल भीख मांगने या उनके अंगों को निकालने के उद्देश्य से मानव तस्करी की जाती है। मानव तस्करी कि रोकथाम हो सके , इस विषय में जागरूकता बढ़ाने, तथा तस्करी के शिकार लोगों के अधिकारों की रक्षा करने के लिए, संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिवर्ष 30 जुलाई को संपूर्ण विश्व में ‘विश्व मानव तस्करी निरोधक दिवस’ मनाया जाता है।

आइये सबसे पहले जानते है कि आखिर मानव तस्करी क्यों की जाती है ? इसके पीछे क्या उद्देश्य है ?

विश्वभर में बड़े स्तर पर मानव तस्करी का भयावह जाल फैला हुआ है। मानव तस्करी द्वारा मासूम जिंदगियों के साथ अमानवीय व्यवहार किया जाता है। पुरुष, महिलाएं और सभी उम्र के बच्चे इस अपराध के शिकार हो सकते हैं। संयुक्त राष्ट्र की परिभाषा के अनुसार, किसी व्यक्ति को डराकर, बलपूर्वक या दोषपूर्ण तरीके से काम लेना, यहाँ-वहाँ ले जाना या बंधक बनाकर रखने जैसे कृत्य तस्करी की श्रेणी में आते हैं।मानव तस्करी किसी भी देश की मानव सुरक्षा और मानव विकास के लिए खतरा है। इसका एक आर्थिक पहलू भी है क्योंकि तस्करी के शिकार होने वाले ज़्यादातर महिलाएँ और पुरुष आर्थिक रूप से कमज़ोर होते हैं। इसका एक स्वास्थ्य पहलू भी है, क्योंकि तस्करी की शिकार महिलाओं और बच्चों को एचआईवी संक्रमण और अन्य यौन संचारित रोगों का सबसे ज़्यादा ख़तरा होता है। यह एक सामाजिक और लैंगिक समस्या भी है, क्योंकि समाज में असमान शक्ति संबंध उन्हें मानव तस्करी के प्रति ज़्यादा संवेदनशील बनाते हैं। अंत में, यह एक मानवाधिकार मुद्दा है, क्योंकि इसके पीड़ितों से उनके अधिकार छीन लिए जाते हैं और उनके खिलाफ़ किए गए अपराधों के लिए उन्हें किसी भी तरह की राहत नहीं मिलती। एक संगठित अपराध के रूप में, वैश्विक स्तर पर, मानव तस्करी एक अनुमानित 32 बिलियन अमेरिकी डॉलर का अवैध उद्योग है और अवैध ड्रग्स और हथियारों की तस्करी के बाद तीसरा सबसे बड़ा उद्योग है।

दक्षिण एशिया में, मानव तस्करी को अक्सर सबसे तेजी से बढ़ते अंतरराष्ट्रीय संगठित अपराधों में से एक माना जाता है। दक्षिण एशिया में हर साल 150,000 से अधिक लोगों की तस्करी सेक्स वर्क, मजदूरी, जबरन विवाह, अंग व्यापार के लिए की जाती है और अक्सर यही आर्थिक स्थिति और परिस्थितियाँ होती हैं जो युवा लोगों, महिलाओं और बच्चों की कमज़ोरियों में योगदान देती हैं।

मानव तस्करी एक आपराधिक कृत्य है जिसमें महिलाओं, बच्चों और पुरुषों का शोषण शामिल है, जिन्हें श्रम और यौन कार्य के विभिन्न रूपों में मजबूर किया जाता है। हर साल दुनिया भर में करीब 2,25,000 लोग मानव तस्करी के शिकार होते हैं। ड्रग्स और अपराध पर संयुक्त राष्ट्र कार्यालय का अनुमान है कि अधिकांश लोगों की तस्करी एशिया से यूरोप में की जाती है। एशिया के पीड़ितों को यूरोप के सबसे ज्यादा स्थानों पर तस्करी करके लाया जाता है, जबकि यूरोप के पीड़ितों को दुनिया के सबसे ज्यादा स्थानों पर तस्करी करके लाया जाता है। यौन तस्करी के रूप में मानव तस्करी अभी भी सबसे आम है। शोषण के अन्य रूपों पर ज्यादातर ध्यान नहीं दिया जाता। जिसमे निर्माण, कृषि, खानपान और रेस्तरां, परिधान और वस्त्र, घरेलू काम, स्वास्थ्य सेवा व्यय, मनोरंजन और सेक्स उद्योग में मानव तस्करी करके , जबरन मजदूरी कराने की दर बहुत ज्यादा है।

मानव तस्करी के मामले में भारत दुनिया के शीर्ष देशों में शामिल है और इसे मानव तस्करी का Source (स्रोत), Transit (पारगमन) और Destination (गंतव्य) माना जाता है। नेपाल , बांग्लादेश और भारत के बीच काफी लंबी खुली सीमा होने के कारण अंतरराष्ट्रीय मानव तस्करी भी भारत में होती है। पश्चिम बंगाल मानव तस्करी का नया केंद्र बनकर उभरा है। भारत से पश्चिम एशिया, उत्तरी अमेरिका तथा यूरोपीय देशों में मानव तस्करी होती है। दुनियाभर में मानव तस्करी के पीड़ितों में एक-तिहाई बच्चे होते हैं। भारत के कई राज्यों से बंधुआ मजदूरी के समाचार सामने आते रहे हैं , जो मानव तस्करी का ही एक रूप हे .

ऐसी कई चीजें हैं जो किसी व्यक्ति की तस्करी का कारण बन सकती हैं। हो सकता है कि उन्हें किसी ने अगवा कर लिया हो या किसी ने उन्हें मजबूर किया हो; हो सकता है कि वे दुर्व्यवहार या गरीबी से बचने की कोशिश कर रहे हों; या वे बस अपने जीवन को बेहतर बनाने और अपने परिवारों का समर्थन करने की कोशिश में मानव तस्करी का शिकार हो रहे हों।

अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मानव तस्करी से निपटने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका की प्रतिबद्धता स्थापित की। तत्कालीन राष्ट्रपति बराक ओबामा ने राष्ट्रपति घोषणा द्वारा जनवरी 2010 को “राष्ट्रीय गुलामी और मानव तस्करी रोकथाम माह” नाम दिया, और तब से प्रत्येक राष्ट्रपति ने इस परंपरा को जारी रखा है। वर्ष 2010 में, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने व्यापारिक व्यक्तियों का समाधान करने के लिए ग्लोबल योजना को मंजूरी दी, जिससे विश्वभर की सरकारें इस हानिकारक प्रक्रिया के खिलाफ संघर्ष में सहयोग करें। इस योजना का उद्देश्य संयुक्त राष्ट्र के विस्तृत पहलुओं में मानव व्यापार के खिलाफ लड़ाई को सम्मिलित करना है, जिससे वैश्विक विकास को बढ़ावा मिले और सुरक्षा में सुधार हो।वर्ष 2000 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा मानव तस्करी, विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों की तस्करी को रोकने, दबाने और दंडित करने के लिए प्रोटोकॉल को अपनाना , मानव तस्करी को रोकने के अंतरराष्ट्रीय प्रयासों में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ। संयुक्त राष्ट्र मानव तस्करी प्रोटोकॉल मानव तस्करी से निपटने के लिए एक प्रमुख अंतरराष्ट्रीय साधन है, जो अंतरराष्ट्रीय संगठित अपराध के विरुद्ध संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (यूएनटीओसी) का पूरक है। संगठित अपराध सम्मेलन और मानव तस्करी प्रोटोकॉल मिलकर एक अंतर्राष्ट्रीय कानूनी ढांचा तैयार करते हैं और मानव तस्करी से निपटने के लिए सदस्य देशों के सहयोग का आधार प्रदान करते हैं।

इसके बाद, वर्ष 2013 में, संयुक्त राष्ट्र महासभा ने ग्लोबल योजना को आगे बढ़ाने के लिए एक उच्चस्तरीय बैठक बुलाई। इस बैठक के दौरान, सदस्य राज्यों ने रेज़ोल्यूशन को स्वीकार किया, जिससे 30 जुलाई को व्यापारिक व्यक्तियों के खिलाफ विश्व दिवस के रूप में आधिकारिक रूप से नामित किया गया। इस रेज़ोल्यूशन ने मानव व्यापार के पीड़ितों की पीड़ा के बारे में जागरूकता बढ़ाने . और उनके अधिकारों की सुरक्षा और संवर्धन के लिए आवाज़ बुलंद करने में इस दिन की महत्त्व को उभारा । राष्ट्रपति बिडेन ने भी जनवरी 2022 को “राष्ट्रीय मानव तस्करी रोकथाम माह” घोषित किया था.

एक जुलाई वर्ष 2024 इसे भारतीय न्याय संहिता कि धारा 143 और 144 के रूप में जाना जाता है . ]यह धारा व्यापक तौर पर मानव तस्करी को रोकते हुए , बच्चों की तस्करी के अलावा किसी भी तरह के यौन शोषण, दासता और मानव अंगों को ज़बरदस्ती निकाले जाने के मामले में कठोर दंड देने का प्रावधान प्रदान करती है। जिसमें मानव तस्करी के खतरे का प्रतिकार करने के लिए व्यापक प्रावधान किए गए हैं जिनमे अवैध व्यापार सहित शारीरिक शोषण या किसी भी रूप में बच्चों के यौन शोषण, गुलामी, दासता, या अंगों को जबरन हटाने सहित किसी भी रूप में शोषण संबंधी प्रावधान शामिल हैं।· महिलाओं और बच्चों की तस्करी से संबंधित अन्य विशिष्ट विधान हैं, राज्य सरकारों ने भी इस मुद्दे से निपटने के लिए विशिष्ट कानून भी बनाए हैं। जैसे पंजाब मानव तस्करी रोकथाम अधिनियम, 2012 .

मानव तस्करी वर्तमान विश्व के सम्मुख उपस्थित कई बड़ी समस्याओं में से एक है। तमाम कोशिशों के बावजूद इसे रोक पाना संभव नहीं हो पा रहा है और न केवल अल्प-विकसित और विकासशील देश बल्कि विकसित राष्ट्र भी इस समस्या से अछूते नहीं है। मानव तस्करी भारत की भी प्रमुख समस्याओं में से एक है। कुछ समय पूर्व अमेरिका ने मानव तस्करी से प्रभावित देशों और इसे रोकने के लिये इन देशों में किये जा रहे प्रयासों का अवलोकन कर एक विशेष रिपोर्ट तैयार की थी। इसमें भारत को टियर-2 श्रेणी में रखा गया, जिसका अभिप्राय है कि इस दिशा में प्रयास तो किये जा रहे हैं, लेकिन पूर्णतया प्रभावी साबित नहीं हो पा रहे हैं। ये सभी प्रयास आवश्यक अंतरराष्ट्रीय मानदंडों पर खरे नहीं उतर पा रहे। वैसे भारत सरकार ने देश में पीडि़तों की पहचान करना, अपराधियों के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई और सज़ा, पीड़ित महिलाओं और बच्चों के लिये विशेष कार्ययोजना तैयार करना, पुनर्वास, आश्रय स्थलों और रोज़गार के इंतज़ाम के लिये बजट में बढ़ोतरी आदि उपाय किये हैं। लेकिन अभी इस दिशा में काफी कुछ किया जाना शेष है।

By MPNN

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