क्रिप्टोकरंसी फ्रॉड में रतलाम पुलिस को 1 वर्ष की मेहनत के बाद बड़ी सफलता हाथ लगी है। पुलिस रतलाम सहित आसपास के 5 जिलों के पीड़ितों के 44 लाख वापस भारत लाने में सफल हुई है। इस पूरे फ्रॉड के मुख्य आरोपियों तक भी पुलिस पहुंच चुकी है। उन्हें आरोपी बनाकर अब रतलाम पुलिस द्वारा उनकी गिरफ्तारी के प्रयास किया जा रहे हैं
1 वर्ष पूर्व पुलिस ने इस मामले में रतलाम से हुजैफा जमाली और गोविंद सिंह चंद्रावत सहित आठ लोगों को गिरफ्तार किया था। इन लोगों से पूछताछ के आधार पर पुलिस ने अपनी जांच शुरू की, तो फ्रॉड के तार देश के दूसरे हिस्से एवं विदेश तक जुड़े मिले। पुलिस ने दूसरे प्रदेश से योगानंद बमोरे नामक व्यक्ति को भी इस फ्राड के मामले में गिरफ्तार किया।
इसके बाद रतलाम पुलिस ने विभिन्न माध्यम और ओपन सोर्स से जानकारी प्राप्त कर लगभग 10 लाख 48 हजार
टीआरसी 20 के एड्रेस प्राप्त किए गए। जिसमें MTFE क्यूआर कोर्ट द्वारा बड़ी मात्रा में रुपए का लेनदेन अलग- अलग देशों से किया जाना पाया गया। रतलाम पुलिस द्वारा जांच में सामने आया कि भारत सहित श्रीलंका, बांग्लादेश, सिंगापुर, पाकिस्तान एवं नाइजीरिया में भी इस प्रकार का फ्रॉड MTFE द्वारा किया गया है। पुलिस के अनुसार टीआरसी 20 से कंरेसी को कन्वर्ट करने के लिए लगभग 56 काउंटर पार्टी एक्सचेंज का उपयोग किया गया।
इसके बाद रतलाम पुलिस ने न्यायालय से इन खातों को फ्रीज करवाने का आदेश करवाया। इन खातों में लगभग 44 लाख रुपए की राशि जमा थी। इन्हें वापस भारत लाने के लिए रतलाम पुलिस ने राजस्व अधिकारी के नाम से वर्चुअल पासवर्ड बनवाया, इसके बाद बायनेंस कंपनी द्वारा 108 क्रिप्टो करेंसी के रूप में लगभग 44
लाख रुपए की राशि शासकीय खातों में रिफंड की गई। स्थानीय स्तर पर प्रयास कर विदेश से पुनः पैसे लाने का अपने आप में यह अकेला मामला है।
