ओम्कारेश्वर से सहयोगी मनोज त्रिवेदी की रिपोर्ट-
भाई-बहन के रिश्ते से जुड़े पवित्र त्यौहार रक्षा बंधन में इस बार भाइयों की कलाई में धान, चावल, रुद्राक्ष, रंगीन मोती, स्टोन और ऊन से बनी राखियां सजेंगी। खण्डवा जिले के शहरी आजीविका मिशन ओंकारेश्वर से जुड़ी स्व-सहायता समूह की महिलाओं द्वारा रक्षा बंधन के समय इसकी तैयारी शुरू कर दी है। स्व-सहायता समूहों द्वारा निर्मित राखियां बालवाडी स्थित केन्द्र में मिलना शुरू हो गयी है। इन महिला समूहों द्वारा लोगों को सस्ते दामों में अच्छी राखियां दे रही है।
दुर्गा,नर्मदा एवं शिव शंकर स्व-सहायता समूहों की सदस्यों का कहना है कि देशी राखियों के निर्माण में धान, चावल,ऊन,स्टोन,सहित फैन्सी सामग्री का उपयोग किया जा रहा है।
ओंकारेश्वर क्षैत्र की महिला स्व सहायता समूहों की संचालिका जया मालाकार ने बताया की स्व- सहायता समूहों को विभिन्न गतिविधियों से जोड़कर उन्हें को आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है। अगले माह रक्षा बंधन त्योहार आ रहा है। इसलिए समूहों को राखियां बनाकर बेहतर स्वरोजगार प्राप्त हो इसके लिए लगातार प्रेरित भी किया जा रहा है। स्वसहायता समूहों द्वारा पिछले एक सप्ताह से राखियां बनाकर उन्हें आसपास के मार्केट में सेलिंग की जा रही है, इससे समूह को अच्छी आमदनी हो सकती है। रक्षा बंधन त्यौहार के पूर्व समूह की महिलाएं घरों में कोरोना वायरस को ध्यान में रखते हुए रेशम के धागेे, छोटे-बड़े मोती, चावल के दाने, अलग-अलग रंगीन कपड़े, छोटे-छोटे रुद्राक्ष, रंगीन पत्थर आदि मार्केट से खरीदकर उनसे राखियां तैयार कर रहीं हैं।
देशी राखियां खरीदने की अपील
समूह की महिलाओं ने देशी राखियां ही खरीदने की अपील भी की है, ताकि उन्हें भी रोज़गार मिलता रहे और देश का पैसा भी देश में ही रहे।