अनन्त माहेश्वरी की रिपोर्ट –
मध्यप्रदेश में कई सरकारी नौकरी, संविदाकर्मी, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता,मिनी कार्यकर्ता,सहायिका,रोज़गार सहायक पद पर भर्ती हेतु बीपीएल कार्ड धारियों को पात्रता दी गई है।
इसी योजना का लाभ उठाकर कई आंगनवाड़ी कार्यकर्ता अब सुपरवाइजर के पद तक जा पहुंची है। बावजूद इसके उनका परिवार बीपीएल कार्ड से मिलने वाली सुविधाओं का लाभ लगातार विगत कई वर्षों से उठा रहा है ।
यही हाल पंचायतों में कार्य कर रहे कर्मचारियों के भी है। जबकि शासन के स्पष्ट निर्देश है कि जिस परिवार के मुखिया की सालाना आय अठाईस हजार रुपयों से अधिक है। वे इसकी पात्रता श्रेणी में नही आते ।
यही वजह है कि जिला कलेक्टर ने ऐसी तमाम आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं और सुपरवाइजर को निर्देशित किया है कि वे तीन दिवस की अवधि में अपने बीपीएल कार्ड संबंधित कार्यालय में जमा करवाएं।
जिला कलेक्टर के इस आदेश से बीपीएल का लाभ पाने वाले कर्मचारियों में हड़कंप है । जबकि यह सभी कर्मचारी 28 हजार रुपये सालाना से तीन गुना अधिक तनख्वाह अथवा मानदेय प्राप्त कर रहे है। जबकि शासन के नियमानुसार बीपीएल कार्ड धारी की सालाना आय बढ़ते ही उसे अपना कार्ड निरस्त करवा देना था।
लेकिन ऐसा हुआ नही। शासन से प्रतिमाह भुगतान प्राप्त करने वालों की आय का शासकीय रिकार्ड होने के बावजूद उनका परिवार कई वर्षों से बीपीएल कार्ड पर मिलने वाली सुविधाओं का दोहन करता चला आ रहा है ।
शासन चाहे तो इनसे पेनाल्टी सहित वह राशि वसूल कर सकता है। जो इन्होंने बीपीएल कार्ड का अनुचित लाभ उठाते हुए इसके तहत मिलने वाली सुविधाओं का लाभ लिया।
इस आदेश के ख़िलाफ़ कुछ आंगनवाड़ी कार्यकर्ता स्थानीय विधायक देवेंद्र वर्मा के पास भी गुहार लगाने पहुंची थी कि हमारे बीपीएल कार्ड जमा नही करवाए जावे ।