मनीष कुमार मलानी (विद्रोही)
पल – पल रूप बदलती दुनिया,
किसी समझ में कैसे आये..??
एक कलम से इतने मौसम,
फिर भी हमने हैं दिखलाए…
कभी प्रभा पर, कभी निशा पर,
कभी गगन पर, कभी धरा पर…
कोरे पन्ने भरे हैं हमने,
कभी हर्ष पर कभी व्यथा पर…
दुनिया में खाली आए थे,
जाएंगे भी खाली हो कर…
जाते-जाते भर जाएंगे,
नीर कहीं आखों में सो कर…
बीच सफर में धन जो कमा कर,
अंत समय में चले लुटा कर…
साथ जाएगा कर्म का मोती,
ये दुनिया किस्मत पे रोती…
हमने स्वप्न से नयन सजाकर,
स्वप्नों में खुदको उलझा कर…
देख लिया सारी दुनिया को,
गम के अंदर से मुस्का कर…
युवा कवि मनीष कुमार मलानी [विद्रोही ] मध्यप्रदेश के खंडवा जिले के निवासी है .