नितिन बिवाल की कलम से –
गुजर रहा है वक्त यहाँ पर वक्त नहीं मुस्काने को ।
दौड़ रहे जीने के खातिर ना थमते जी जाने को ।
और अधिक कि भुख हमारी कैसे बाँटे दाने को ।
हमसे ज्यादा कष्ट हैं जिसके चलदो उसे हँसाने को ।
जब गुजरेंगे इस दुनियाँ से हो कुछ प्रभु बताने को ।
गुजर रहा है वक्त —-
नगर निगम खंडवा के स्वास्थ्य विभाग में कार्यरत नितिन बिवाल बताते है की पिछले 5 वर्षों से गुरु कृपा से ये सिलसिला आरंभ हुआ . उन्होंने भक्ति गीत व सामाजिक विषयों पर कुछ रचनाएं लिखी हैं.