भोजशाला में नमाज पढ़ने पर रोक लगाई जाने एवं भोजशाला को मंदिर माने जाने की मांग की गई
हिंदू मुस्लिम सौहार्द की मिसाल मानी जाती रही है धार की भोजशाला
मध्य प्रदेश के धार स्थित भोजशाला जो हिंदू मुस्लिम दोनों के लिए विश्व भर में उदाहरण बनी हुई है , जहां हिंदू समाज प्रति मंगलवार को हनुमान पाठ चालीसा करता है वही प्रत्येक शुक्रवार को मुस्लिम समाज यहां पर नमाज अदा करता है , बाकी दिनों में पर्यटक यहां शुल्क देकर आ जा सकते हैं , हालाकी दोनों पक्ष यहां पर अपने-अपने दावे करते रहे हैं और सदियों से यहां यह परंपरा चली आ रही है , परमार कालीन माने जाने वाली भोजशाला अपने दौर में संस्कृत की पाठशाला हुआ करती थी , जिसे जानकारों के मुताबिक मुस्लिम आक्रांताओं द्वारा ध्वस्त कर दिया गया था , और इसके अवशेषों से नई बिल्डिंग बनाई गई जो मुस्लिम शैली में निर्मित की गई थी , जिसमें उसी भोजशाला के प्रतीक पत्थरों का इस्तेमाल किया गया था , जिसके बाद सदियों तक यहां कोई नहीं आता जाता था एवं यहां धार राजघराने के घोड़ों की घास भरी जाने लगी थी , 1933 में अत्यधिक बारिश और तत्कालीन राजा आनंद राव पवार की गंभीर बीमारी के बाद मुस्लिमों को जगह न होने की वजह से राजा के स्वास्थ्य लाभ के लिए भोजशाला परिसर में नमाज की अनुमति दी गई जिसके बाद से भोजशाला में नमाज़ पढ़े जाने लगी , वही हिंदू समाज यहां मां सरस्वती के स्थल के रूप में पूजन अर्चन भी करता रहा है तथा यहां पर मां सरस्वती मूर्ति स्थापना को लेकर आंदोलन भी जारी है , प्रशासन की देखरेख में दोनों ही समाज यहां शांति से अपने अपनी परंपरा अनुरूप हनुमान चालीसा पाठ पूजा एवम नमाज अदा करते हैं.