उज्जैन मे है कुछ ऐसी मान्यता…

उज्जैन। डॉ मोहन यादव उज्जैन से मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री बनाए जा चुके हैं, जिनके मुख्यमंत्री बनाए जाने के बाद धार्मिक नगरी उज्जैन में चारों ओर खुशियों का माहौल है लेकिन इस नगरी से एक ऐसी मान्यता जुड़ी हुई है जो कि यह बताती है कि मध्यप्रदेश के नए मुख्यमंत्री अब 5 वर्षों तक शायद उज्जैन में रात गुजार नहीं पाएंगे। बताया जाता है कि बाबा महाकाल की इस नगरी में सदियों से ऐसी मान्यता चली आ रही है कि इस नगरी के राजा बाबा महाकाल है और इसीलिए इस नगरी में कोई भी राजा कभी भी रात नहीं गुजारते है। डॉ मोहन यादव उज्जैन के निवासी हैं लेकिन अब उनके लिए भी यही समस्या रहेगी कि मुख्यमंत्री बनने के बाद वह अब कभी उज्जैन में विश्राम कैसे कर पाएंगे।

प्राचीन शहर उज्जैन विक्रमादित्य के समय राज्य की राजधानी थी। मंदिर से जुड़े रहस्य और सिंहासन बत्तीसी के मुताबिक राजा भोज के समय से ही कोई भी राजा उज्जैन में रात्रि निवास नहीं करता है। इसे कई लोग कालिदास की नगरी भी मानते है। इसी शहर में बाबा महाकालेश्वर कि 12 ज्योतिर्लिंग में से एक शिवलिंग उज्जैन में भी है, यह ऐसा शिवलिंग है जो दक्षिण मुखी है। यहां की मान्यता को देखते हुए महाकाल ही यहां के राजाधिराज हैं और दूसरा कोई राजा यहां रात नहीं बिताता। वे दर्शन करने के बाद चले जाते हैं। सिंधिया राजघराने का कोई भी सदस्य यहां कभी नहीं रुका। वे उज्जैन दर्शन करने जरूर आते हैं, लेकिन वापस लौट जाते हैं। इनके अलावा अब तक बाबा महाकाल के दर्शन करने उज्जैन आए राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान समेत कई प्रदेश सरकार के मंत्री उज्जैन तो आते हैं लेकिन वह कभी भी यहां रात नहीं गुजारते हैं।

जो रुके, उनकी छिन गई कुर्सी

इंदिरा गांधी 29 दिसंबर 1979 को महाकाल मंदिर आई थीं। जब वे मंदिर पहुंची तब भस्मआरती चल रही थी। इसलिए उन्होंने बाहर से ही दर्शन किए थे। ऐसा माना जाता है कि जो राजा या नेता यहां रात्रि विश्राम करता है, उसे अपना पद छोड़ना पड़ता है। देश के चौथे प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के बारे में भी यह कहा जाता है कि वे एक रात उज्जैन में रुके थे और दूसरे ही दिन उनकी सरकार गिर गई थी। इसी के साथ कर्नाटक के मुख्यमंत्री येदियुरप्पा भी उज्जैन में ठहरे थे, इसके 20 दिन बाद ही उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ गया था।

By MPNN

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