डॉ. इरफान मंसूरी सनावद जिला खरगोन मध्य प्रदेश-
जब भी चला हूँ राह में,,,,,
जब भी चला हूं राह में, कोई ठिकाना मिल गया
दीदारे यार का आज भी,मुझको बहाना मिल गया |
साजो के दायरे में सजी, उनकी खनकती हंसी
गुनगुनाने को हमें और इक तराना मिल गया ।
फूल से चेहरे पे वो, हीरे से पुरनूर आंखें,पाकर
तुमको यूं लगे,मुझको खजाना मिल गया ।
हैरान है मैकश ओ साकी,मुझको नशे में देखकर
कौन सी मय है के नशा,इतना पुराना मिल गया
हैं मुन्तजिरपैमाने के,आएगा यह भी एक दिन
क्या खबर उनको मुझे,पूरा मयखाना मिल गया।
दिन ओ दुनिया सब मैं भूला, फकत तेरी याद में
इक तुझे पाकर लगा,सारा जमाना मिल गया।
क्यों हो हैरान ए इरफान मुझे झुलसा हुआ यूं देख कर
जलने को आतिशे इश्क में,और इक परवाना मिल गया।