बालाघाट जिले से पंकज डहरवाल की रिपोर्ट-
जहां पहले बालाघाट क्षेत्र के किसान धान, गेहूं और मोटी अनाज की पैदावार को अपनी आय का एक मात्र जरिया मानते थे कुछ सोच से आगे बढ़कर वर्ष भर फसल चक्र को अपनाते हुई वर्ष में तीन अगल-अगल फसल खेती को कमाई का जरिया बनाया जिससे वह सालाना प्रति हेक्टीयर १.५-२ लाख रूपये का शुद्ध आय अर्जित करते है। जिससे जिले के युवा भी प्रभावित हो रहें है और युवा वर्ग के लिए मार्गदर्शक बन चुके है।
जिला मुख्यालय से १८ किमी दूर वारासिवनी तहसील के ग्राम दिनी के युवा किसान तामेश चौधरी ने अपने पिता पोतनलाल चौधरी व चाचा के मार्गदर्शन में लौकी, मुंग, बरबटी और ककड़ी जैसी सह फसली खेती वरदान साबित हो रही है। यह बंजर भूमि थी जिसे उपजाऊ बना कर फसल चक्र के आधार से खेती की जा रही है। वर्तमान में लौकी के लगभग ४००० पौधे लगाये है जिसमें प्रति पौधे से औसतन १० लौकी मिलती है। एक एकड़ में लगभग 70 से 90 क्वीटंल लौकी का उत्पादन हो जाता है बाजारों में भाव अच्छा मिल जाने पर ९0 हजार से एक लाख रुपए का शुद्ध आय होने की सम्भावना रहती है।