अनन्त माहेश्वरी की रिपोर्ट –
यूपी के आठ पुलिस वालों की हत्या के बाद छह दिन से फरार गैंगस्टर विकास दुबे की गिरफ्तारी गुरुवार सुबह उज्जैन से हुई। इसे पुलिस की कार्रवाई कम और विकास दुबे का सोचा-समझा सरेंडर ज्यादा माना जा रहा है।
वजह यह कि जितने आराम से उसकी महाकाल मंदिर से गिरफ्तार हुई, वह कई सवाल खड़े कर रही है। छह दिन तक वह चार राज्यों में घूमता रहा। इस दौरान 1250 किलोमीटर का सफर, उसने बाइक, ट्रक, कार और ऑटो से तय किया। यूपी पुलिस के 100 जवान उसकी तलाश में थे, लेकिन वह गिरफ़्त से दूर रहा। उसे आखिरकार महाकाल मंदिर के गार्ड ने पहचाना और निहत्थे सिपाहियों ने पकड़ लिया।शूटआउट के बाद दो दिन कानपुर में कैसे रहा ? मामला बीते गुरुवार , यानी 2 जुलाई को शुरू हुआ। विकास दुबे को गिरफ्तार करने यूपी पुलिस ने कानपुर के पास बिकरू गांव में दबिश दी। विकास और उसके गुर्गों ने डीएसपी रैंक के सीओ समेत आठ पुलिस कर्मियों की हत्या कर दी। शूटआउट के दौरान वह घर के पीछे खड़ी बाइक से भाग निकला। विकास दो दिनों तक कानपुर के शिवली में ही दोस्त के घर ठहरा रहा, लेकिन यूपी एसटीएफ और 40 थानों की पुलिस उसका पता नहीं लगा सकी।शिवली के बाद विकास एक ट्रक में सवार हो गया। वह 92 किलोमीटर की दूरी तय कर औरैया पहुंच गया। सख्त नाकेबंदी के बावजूद यूपी पुलिस उसे ट्रेस नहीं कर पाई।औरैया के बाद विकास हरियाणा के फ़रीदाबाद पहुंचा। माना जा रहा है कि उसने किसी की कार से 385 किलोमीटर की दूरी तय की। सोमवार दोपहर 3 बजे उसकी आखिरी लोकेशन फ़रीदाबाद में मिली थी।हरियाणा पुलिस और यूपी एसटीएफ की टीम फ़रीदाबाद के होटल में पहुँचती, इससे पहले विकास दुबे वहां से निकल गया। सीसीटीवी में बस उसकी एक झलक दिखाई दी, जिसमें वह एक ओटो में बैठता दिखा। बाद में वह एक रिश्तेदार के घर में भी रहा। यहां भी पुलिस के पहुंचने से पहले वह भाग निकला।विकास सोमवार को फ़रीदाबाद में दिखा था। इसके बाद वह कहां रहा, यह नहीं पता। सीधे गुरुवार सुबह उज्जैन में उसकी गिरफ्तारी हुई। 773 किमी लंबा सफर तय करने के दो रास्ते हैं। या तो हरियाणा, यूपी के रास्ते मध्यप्रदेश पहुंचे। या फिर हरियाणा, राजस्थान के रास्ते मध्यप्रदेश तक आएं। एक थ्योरी यह बता रही है कि वह उज्जैन पहुंचने से पहले मध्यप्रदेश के शहडोल में था। यह शक इसलिए गहराता है क्योंकि मंगलवार को यूपी एसटीएफ ने शहडोल से विकास दुबे के साले ज्ञानेंद्र और भतीजे आदर्श को उठाया था।सवाल यह भी है, कि क्या विकास के पास कोई गाड़ी थी, जिसके जरिए वह इतने राज्यों की सीमा पार करते हुए मध्यप्रदेश में दाखिल हुआ? फरीदाबाद में फुटेज नजर आने के बाद पुलिस चौकस थी। फिर भी वह 17-18 घंटे का रास्ता तय कर उज्जैन तक कैसे पहुुंच गया? हरियाणा, यूपी, एमपी की पुलिस उसका पता नहीं लगा पाई। उसकी पहचान सीधे महाकाल मंदिर के गार्ड ने की।ये गिरफ्तारी नहीं सोचा-समझा सरेंडर है। ऐसा इसलिए कहा जा रहा है क्योंकि 8 पुलिस वालों की हत्या का आरोपी गैंगस्टर आराम से वीआईपी दर्शन की पर्ची कटवाकर महाकाल मंदिर में दाखिल होता है। पुलिस उसके बाहर निकलने का इंतजार करती है और गेट पर उसे गिरफ्तार कर लेती है। गिरफ्तारी भी लोकल थाने की पुलिस करती है। किसी एसटीएफ, कमांडो या एटीएस की जरूरत नहीं पड़ती।विकास दुबे के सरेंडर करने के बाद उज्जैन पुलिस ने दो वकीलों को हिरासत में लिया । उनसे पुलिस पूछताछ कर रही है। दोनों वकील अपनी गाड़ी से उज्जैन आए थे। फिर लखनऊ लौटने वाले थे।विकास दुबे की गिरफ्तारी के बाद गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा का बयान सबसे पहले आया । उन्होंने कहा हमने पूरी मध्यप्रदेश की पुलिस को एलर्ट पर रखा था। निगाह रखी जा रही थी।